मानव संबंध
रात को टीवी पर हम सब लोग एक इतालवी फिल्म देख रहे थे, "अब रोने के सिवाय क्या करें" (Non ci resta che piangere) जिसके प्रमुख कलाकार थे रोबेर्तो बेनिन्यी (Benigni) और मासिमो तरोईसी (Troisi). बेनिन्यी का नाम तो ओस्कर मिलने के बाद लोगों को कुछ मालूम है पर तरोईसी का नाम इटली के बाहर अधिकतर अनजाना है. तरोईसी का स्थान इतालवी सिनेमा में कुछ वैसा ही जैसे जेम्स डीन का अमरीकी सिनेमा. थोड़े से समय में जनप्रिय हो जाना और जवान उम्र में मृत्यु होना, इन दोनो बातें में इन दोनो अभिनेताओं का भाग्य एक जैसा था. तरोईसी की सबसे प्रसिद्ध, और मेरे विचार में सबसे सुंदर फिल्म थी "डाकिया" (Il postino). रात की फिल्म में बेनिन्यी बने थे एक स्कूल के अध्यापक और तरोईसी थे स्कूल के अदना कर्मचारी जो स्कूल का गेट का ध्यान रखता है, पानी पिलाता है, इत्यादि. और फिल्म में दोनो बहुत पक्के मित्र दिखाये गये है. फिल्म देखते हुए मन में एक बात आयी कि भारत में विभिन्न स्तरों पर काम करने वाले लोगों में इस तरह की बराबरी और मित्रता होना बहुत कठिन है. अगर बचपन में मित्रता रही भी हो तो बड़े होने पर, स्तर बदलने के साथ दो