पैर तुम्हारे, आलूबुखारे
चीनी, मंदारिन भाषा में शायद यही नाम है मेरा, "पैर तुम्हारे आलूबुखारे". चित्रमय भाषाओं, यानि वह भाषाएँ जिनकी लिपी चित्रों पर आधारित हैं, में दिक्कत तब आती है जब आप को कुछ ऐसा लिखना पड़े जिसका शब्द आप की भाषा में न हो. हिंदी जैसी भाषा जो चित्रों यानि शब्दों पर नहीं बल्कि अक्षरों से लिखी जाती है, उनके कोई भी नया शब्द हो उसे लिखने में कोई मुश्किल नहीं होती. चित्रों पर आधारित भाषाओं में अक्षर नहीं होते, शब्द होते हैं. जब कोई नया शब्द आये तो आप को सबसे पहले उससे मिलते जुलते ध्वनी वाले शब्द खोजने पड़ते हैं जिनको मिला कर आप वह नया शब्द बना सकते हैं. मेरे नाम को ही लीजिए, सुनील. मंदारिन में लिखने के लिए मैं इससे मिलते जुलते शब्द खोजने लगा तो मुझे मिलेः 1. "ज़ू" यानि पैर - शब्दचित्र को ध्यान से देखिए, थोड़ी सी कल्पना से देखें तो इसमें आप को आदमी का सिर, हाथ और नीचे, लम्बा पैर दिखाई देगा. 2. "नि" यानि तुम, तुम्हारे - इसके शब्दचित्र में एक व्यक्ति खड़ा है तराजू के सामने जिस पर बैठा है एक और व्यक्ति 3. "लि" यानि आलूबुखारे का पेड़ + यह शब्दचित्र दो निशानों को मिला