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डागधर बाबू कहाँ तक पढ़े हैं?

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कुछ दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संस्थान की भारत में स्वास्थ्य कर्मियों की स्थिति के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट को पढ़ा. अक्सर इस तरह की रिपोर्टों में समाचार पत्रों या पत्रिकाओं को दिलचस्पी नहीं होती. इनके बारे में अंग्रेज़ी प्रेस में शायद कुछ मिल भी जाये, हिन्दी के समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में इसकी चर्चा कम ही होती है. इसलिए सोचा कि इसकी बात ब्लाग के माध्यम से करनी चाहिये. भारत में स्वास्थ्य सेवा कर्मी हर वर्ष, संयुक्त राष्ट्र की विश्व स्वास्थ्य संस्था दुनिया के विभिन्न देशों के बारे में स्वास्थ्य-कर्मी सँबधी आँकणे प्रकाशित करती है, जो उन्हें देश की सरकारें देती हैं. पर इसमें भारतीय आँकणे अक्सर अधूरे रहते हैं. आँकणे हों भी तो राष्ट्रीय स्तर के औसत आँकणे होते हैं जिनमें विभिन्न राज्यों की स्थिति को समझना आसान नहीं. इन आँकणों की विश्वासनीयता भी संदिग्ध होती है. उदाहरण के लिए अगर हम विश्व स्वास्थ्य सँस्था द्वारा प्रकाशित सन् 2011 के आँकणे देखें तो उनके अनुसार सन 2000 से 2010 के अंतराल के समय में भारत में हर 10,000 जनसंख्या के लिए 6 डाक्टर, 13 नर्से व दाईयाँ तथा 0.7 दाँतों के डा