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विचित्र शब्द

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हिन्दी के "चंदू की चाची ने, चंदू के चाचा को चाँदी के चम्मच से चाँदनी चौंक में चटनी चटाई" जैसे वाक्यों को, जिन्हें बोलने में थोड़ी कठिनायी हो या बोलने के लिए बहुत अभ्यास करना पड़े, अंग्रेज़ी में "टँग टिविस्टर" (Tongue twister) यानि "जीभ को घुमाने वाले" वाक्य कहते हैं. इस तरह के वाक्य अन्य भाषाओं में भी होते हैं. चेक गणतंत्र की भाषा चेक में ऐसा एक वाक्य हैः "मेला बब्का वू कापसे ब्राबसे, ब्राबसे बाबसे वू कापसे पिप. ज़्मक्ला बबका ब्राबसे वू कापसे, ब्राबसे बाबसे वू कापसे चिप." यानि "नानी की जेब में चिड़िया थी, चिड़िया ने चींचीं की, नानी ने चिड़िया को दबाया, चिड़िया मर गयी." विभिन्न भाषाओं कई बार छोटे से शब्द मिलते हें, जिनके अर्थ समझाने के लिए पूरा वाक्य भी कम पड़ सकता है. कुछ इस तरह के शब्दों के उदाहरण देखिये. जापानी लोग कहते हैं "अरिगा मेईवाकू" जिसका अर्थ है, "वह काम जिसे कोई आप के लिए करता है, जो आप नहीं चाहते थे, और आप की पूरी कोशिश के बाद कि वह व्यक्ति वह काम न करे, वह उसे करता है, और आप के लिए इतना झँझट खड़ा कर दे

अंत का प्रारम्भ

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पिछले कुछ सालों में इटली के प्रधानमंत्री श्री सिल्वियो बरलुस्कोनी का नाम विश्व भर में जाना जाने लगा है. जिन्हें इटली के बारे में कोई अन्य जानकारी नहीं है, वे भी बरलुस्कोनी का नाम जानते हैं. इसका कारण यह भी है कि विश्व भर में पत्रकारिता बदल रही है. उदारवाद और वैश्वीकरण से, अखबारों में बिक्री कैसे बढ़ायी जाये की चिन्ता भी बढ़ी है और इस चिन्ता को घटाने में बरलुस्कोनी जी बड़े सहयोगी हैं क्योंकि वह नियमित रूप से सेक्स से जुड़े स्कैंडलों के हीरो हैं जिनकी खबरे दुनिया के समाचार पत्र खुशी से छापते हैं. उत्तरी इटली के मिलान शहर के उद्योगपति, बरलुस्कोनी ने पहला पैसा ज़मीन और घरों के बनाने और उनकी बिक्री से बनाया, फ़िर टेलीविज़न और अखबारों के व्यवसाय में झँडे गाड़े. आज उनके व्यवसाय विभिन्न क्षेत्रों में फ़ैले हैं और वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में गिने जाते हैं. सत्रह वर्ष पहले, राजनीति में आने से पहले, वह 1980 के दशक में इटली की समाजवादी पार्टी के नेता इटली के प्रधान मंत्री बेत्तिनो क्राक्सी के करीबी मित्र समझे जाते थे. 1990 के दशक के प्रारम्भ में इटली में "साफ़ हाथ" का स्कैंडल ह

ब्राज़ील डायरी (2)

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पिछले दिनों मुझे ब्राज़ील के गोयास और परा प्रदेशों में यात्रा का मौका मिला. उसी यात्रा से मेरी डायरी के कुछ पन्ने प्रस्तुत हैं. कल इस डायरी का पहला भाग प्रस्तुत किया था. आज प्रस्तुत है दूसरा और अंतिम भाग. *** 3 जून 2011, अबायतेतूबा (परा) ब्राज़ील में गोरे, काले, भूरे, हर रंग के लोग मिलते हैं. अफ्रीकी, अमेरंडियन और यूरोपीय लोगों के सम्मिश्रण से एक ही परिवार में तीनो जातियों के चेहरे दिखते हैं. अक्सर लड़के और लड़कियाँ छोटे छोटे कपड़े पहनते हैं और शारीरिक नग्नता पर कोई ध्यान नहीं देता. अमेज़न जँगल में दूर दूर के गाँवों में भी लोग इसी तरह के छोटे छोटे पश्चिमी लिबास पहनते हैं. यह वस्त्र मेरे मन में समृद्ध यूरोप या अमरीका की छवि बनाते हैं. भारत में इस तरह के कपड़े तो केवल बड़े शहरों में अमीर घर के लोग ही पहनते हैं. इसलिए उन्हें देख कर अक्सर उनकी गरीबी को तार्किक स्तर पर समझता हूँ लेकिन भावनात्मक स्तर पर महसूस नहीं कर पाता हूँ. (नीचे की तस्वीरों में अबायतेतूबा के ग्रामीण और नदी के किनारे पर रहने वाले गरीब लोग) मन में कुछ अज़ीब सा लगता है. गोरा चेहरा, सुनहरे बाल, छोटे छोटे आध

ब्राज़ील डायरी (1)

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पिछले दिनों मुझे ब्राज़ील के गोयास और परा प्रदेशों में यात्रा का मौका मिला. उसी यात्रा से मेरी डायरी के कुछ पन्ने प्रस्तुत हैं. 24 मई 2011, गोयास वेल्यो बोर्ड पर लिखा था, " ओ कुआरो ". मैंने मेक्स से उसका मतलब पूछा तो उसने बताया कि यह ब्राज़ील की ग्वारानी जनजाति के अमेरिंडियन लोगों का आपस में नमस्ते कहने का तरीका है. मेक्स प्राथमिक स्कूल के बच्चों को प्राचीन अफ्रीकी और अमेरिंडियन सभ्याताओं के बारे में पढ़ाता है. वह बोला, "हम लोगों के खून में, यूरोप से आये लोगों के साथ साथ, अफ्रीका से लाये गुलामों और यहाँ के रहने वाले मूल अमेरिंडियन निवासियों का खून भी मिला है. एक ही ब्राज़ीली परिवार में तुम्हें सुनहरे बालों और नीली आँखों वाले यूरोपी चेहरे, काले अफ्रीकी चेहरे, भूरे अमेरिंडियन चेहरे और इन सबके सम्मिश्रिण से बने हर रंग के चेहरे मिलेंगे. लेकिन आज का ब्राज़ील वासी, अपने आप को यूरोपीय मानना बेहतर समझता है, हमारी सभ्यता पर यूरोपी भाषा, सोच विचार, धर्म हावी हैं." "अफ्रीकी सभ्यता या अमेरिंडियन सभ्यता की हमारी जड़ों की, किसी को परवाह नहीं, वे तो आजकल नीचे दर्जे क