नये बाँध, पुरानी गलतियाँ
कल २७ फरवरी के अँग्रेज़ी समाचार पत्र फाँनेंशियल टाईमस् में समाचार था चीन में बनने वाले दुनिया के सबसे बड़े बाँध के बारे में जिसका शीर्षक था "नया बाँध फ़िर से नादान गलतियाँ कर रहा है" (New dam repeats stupid mistakes). अगर यह समाचार कोई पत्रिका वाला छापे तो सोचा जाता है कि अवश्य ही कम्यूनिस्ट होंगे या पुरातनपंथी जो विकास नहीं चाहते और हर आधुनिक तरक्की के पीछे उसकी अच्छाईयाँ छोड़ कर उनकी कमियों को खोजते हैं और फ़िर उन कमियों को बढ़ा चढ़ा कर ढिँढ़ोरा पीटते हैं. पर जब वह समाचार व्यवसायिक अखबार में छपे जो हमेशा उदारवाद और उपभोक्तावाद की तरफ़दारी करता हो तो उसका क्या अर्थ निकाला जायेगा? समाचार में बताया गया है कि 1950 के पास बने सनमेक्सिया बाँध के अनुभव से कुछ नहीं सीका गया. जब सनमेक्सिया बाँध बन रहा था तो कहते थे कि उससे देश कि एक तिहाई बिजली की माँग पूरी होगी, असलियत में उसका दसवाँ हिस्सा बिजली में नहीं दे पाया और पानी में बह कर आने वाले मिट्टी से धीरे धीरे बंद सा हो गया. हज़ारों लोग जिनके घर पानी में डूबे, जो धरती और वनस्पति पानी में डूबी, सब व्यर्थ और अब वे विस्थापित लोग धीरे धीरे म