जब समाचार पढ़ा कि आबु धाबी में ऊँटों की प्रतियोगिता हुई और सबसे सुंदर ऊँट को पाँच करोड़ का ईनाम मिला तो अपने लड़कपन के दिन याद आ गये. एक तो दुबला पतला था, उस पर किशोर होते होते अचानक लम्बाई बढ़ने लगी. इतनी लम्बी गर्दन लगती थी कि माँ कहती, "इतना बड़ा ऊँट सा हो गया पर अक्ल हमेशा घास चरने में लगी रहती है." सुन कर मन को बहुत दुख पहुँचता, मन में आता कि कैसे मोटा हुआ जाये, और यह ऊँट सी गर्दन कुछ छोटी लगे. एक पत्रिका में पढ़ा कि दूध और केला खाने से शरीर अधिक तंदरुस्त होता है और वज़न बढ़ता है, तो सुबह दूध के साथ केला खाना शुरु कर दिया.
तब बेचारे ऊँटों को कौन पूछता था और ऊँट कहलाने का अर्थ था कि स्वयं को बदसूरत समझना. आज जब स्वयं को हाथी के रूप में देखता हूँ तो समझ में आता है कि शायद ऊँट होना उतना बुरा भी नहीं था. सुबह जब पत्नी दोपहर के खाने के लिए सलाद देते हुए कहती है कि तुम्हारा वज़न बहुत बढ़ गया है, आज खाने में केवल सलाद ही खाओ तो समझ में आता है कि ऊँट होना कितना सुखदायक हो सकता है. और जब यह पढ़ा कि सुंदर ऊँट को पाँच करोड़ का ईनाम मिला तो लगा काश हम भी ऊँट प्रतियोगिता में इतराते, हमारी भी तस्वीर अखबारों मे छपती. क्या पता शायद किसी हिंदी फ़िल्म में कोई ओफ़र भी मिल जाता.
मिस इंडिया या मिस युनिवर्स जैसी प्रतियोगिताओं में कैसे जीता जाता है इसकी कुछ समझ तो है हमें. शरीर का बोतल सा आकार होना चाहिये, स्वाभाविक बत्तीस दाँतों वाली मुस्कान होनी चाहिये जिससे मुँह खोलते ही ट्यूबलाईटें जल जायें, कुछ अदाएँ होनी चाहिये और प्रश्नों के उत्तर में हाज़िरजवाबी होनी चाहिये और गरीबों पिछड़े हुए लोगों के प्रति सुहानुभूति होनी चाहिये, जैसे कि "जी मैं अपना जीवन मदर टेरेसा और बाबा आमटे को समर्पित कर चुका हूँ". मिस्टर इंडिया और मिस्टर युनिवर्स बनने के टोटके भी कुछ इसी तरह के होंगे. पर मिस्टर ऊँट बनने के लिए क्या देखा जाता है? पीठ पर कूब का कोण कितना बड़ा है, या कितने ऊँचे पेड़ से पत्तियाँ तोड़ कर खा सकता हूँ?
कौतुहल से इंटरनेट पर खोजा तो पाया कि ऊँटों की सुंदरता नापने के लिए देखते हैं कि कानों की आकृति कैसी है, नाक की लम्बाई बाकी के चेहरे के अनुपात में कैसी है, और पीठ पर कूब कितना फ़ूला है, आदि. मैंने शीशे में अपने कानों की आकृति को देखा है, काफ़ी सुंदर लगते हैं, नाक का अनुपात बाकी चेहरे की लम्बाई से बहुत बढ़िया है. बस पीठ पर कूब थोड़ा छोटा है पर उसे बढ़ाने की कोशिश मैं कर रहा हूँ, सारा दिन कम्प्यूटर के सामने बैठूँगा तो कूब तो बढ़िया विकसित होगा ही!
पर दिक्कत यह है कि गर्दन दिखती ही नहीं, माँस के बीच दबी है, बहुत सिर को इधर उधर मारा, सामने आने का नाम नहीं लेती! मुझे नहीं लगता कि मिस्टर ऊँट का पुरस्कार मुझे मिलेगा. सुना है कि वियतनाम में मिस काओ यानि कि सुकुमारी गाय की प्रतियोगिता होती है, वहाँ भेस बदल कर कोशिश की जा सकती है. अगर आप को मालूम हो कि कहीं मिस्टर हाथी या मिस्टर साँड की प्रतियोगिता होती है तो मुझे अवश्य बताईयेगा.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख
-
हिन्दू जगत के देवी देवता दुनिया की हर बात की खबर रखते हैं, दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं जो उनकी दृष्टि से छुप सके। मुझे तलाश है उस देवी या द...
-
अगर लोकगीतों की बात करें तो अक्सर लोग सोचते हैं कि हम मनोरंजन तथा संस्कृति की बात कर रहे हैं। लेकिन भारतीय समाज में लोकगीतों का ऐतिहासिक दृष...
-
अँग्रेज़ी की पत्रिका आऊटलुक में बँगलादेशी मूल की लेखिका सुश्री तस्लीमा नसरीन का नया लेख निकला है जिसमें तस्लीमा कुरान में दिये गये स्त्री के...
-
पिछले तीन-चार सौ वर्षों को " लिखाई की दुनिया " कहा जा सकता है, क्योंकि इस समय में मानव इतिहास में पहली बार लिखने-पढ़ने की क्षमता ...
-
पत्नी कल कुछ दिनों के लिए बेटे के पास गई थी और मैं घर पर अकेला था, तभी इस लघु-कथा का प्लॉट दिमाग में आया। ***** सुबह नींद खुली तो बाहर अभी ...
-
सुबह साइकल पर जा रहा था. कुछ देर पहले ही बारिश रुकी थी. आसपास के पत्ते, घास सबकी धुली हुई हरयाली अधिक हरी लग रही थी. अचानक मन में गाना आया &...
-
हमारे घर में एक छोटा सा बाग है, मैं उसे रुमाली बाग कहता हूँ, क्योंकि वो छोटे से रुमाल जैसा है। उसमें एक झूला है, बाहर की सड़क की ओर पीठ किये,...
-
हमारे एक पड़ोसी का परिवार बहुत अनोखा है. यह परिवार है माउरा और उसके पति अंतोनियो का. माउरा के दो बच्चे हैं, जूलिया उसके पहले पति के साथ हुई ...
-
२५ मार्च १९७५ को भी होली का दिन था। उस दिन सुबह पापा (ओमप्रकाश दीपक) को ढाका जाना था, लेकिन रात में उन्हें हार्ट अटैक हुआ था। उन दिनों वह एं...
-
प्रोफेसर अलेसाँद्रा कोनसोलारो उत्तरी इटली में तोरीनो (Turin) शहर में विश्वविद्यालय स्तर पर हिन्दी की प्रोफेसर हैं. उन्होंने बात उठायी मेरे...
जी पता करते है, हुई तो बतायेंगे. वैसे गधो की प्रतियोगिता होती है, मगर उसके लिए आप अनुपयुक्त है, वह मात्र हमारे लिए है. :)
जवाब देंहटाएंकम्प्यूटर के सामने बैठे रहने से भी ख्वाब पूरा होना मुश्किल है क्योंकि , 'होती ही है ,होती ही है - पीठ ऊँची ऊँट की' !
जवाब देंहटाएंबडे दुख के साथ कहना पड रहा है कि हाथियों की प्रतियोगिता में तो आप का कोई नंबर नही लगने वाला। मुझे पूरा भरोसा है कि मैं ही जीतूंगा। :)
जवाब देंहटाएं