शनिवार, जुलाई 09, 2011

मन पसंद गैर फ़िल्मी गीत

सुबह साइकल पर जा रहा था. कुछ देर पहले ही बारिश रुकी थी. आसपास के पत्ते, घास सबकी धुली हुई हरयाली अधिक हरी लग रही थी. अचानक मन में गाना आया "इस तुमुल कोलाहल कलह में". जाने कितने साल पहले सुना था यह गीत, शायद चालिस साल पहले. आशा भौंसले का गाया यह गीत, मन की गहराईयों में जाने कहाँ चुपा था जो इस तरह से अचानक उभर आया था. आसपास बिल्कुल सन्नाटा था, कोई तुमल, कोलाहल, कलह नहीं था, फ़िर क्यों यही गीत मन में आया था?

विदेशों में अधिकतर फ़िल्मों में गीत नहीं होते, जबकि भारतीय फ़िल्मों में गीतों के बिना फ़िल्में नहीं होती. हम लोग अधिकतर फ़िल्मी गीतों से ही अधिक परिचित हैं, पर फ़िर भी कभी कभी आशा भौंसले के "तुमुल कोलाहल" जैसे गीत कुछ प्रसिद्ध हो ही जाते हैं. जब एम टीवी और वी चैनल आने लगे थे तो मैं सोचता था कि अब गैर फ़िल्मी गानो को अपना सही स्थान मिलेगा, पर इस तरह का कुछ हुआ लगता नहीं, हालाँकि नब्बे के दशक के बाद से गैर फ़िल्मी गीतों की कुछ लोकप्रियता बढ़ी है.

फ़िर सोचने लगा कि अगर गैर फ़िल्मी गानों के बारे में सोचूँ तो क्या अपने मन पंसद दस गैर फ़िल्मी गानों की सूची बना पाऊँगा? साथ में ही मेरी शर्त यह भी थी कि एक एँल्बम से एक से अधिक गीत नहीं चुन सकते, और गीत अपने आप याद आना चाहये, गूगल पर खोज कर नहीं निकनला उसे. प्रारम्भ में कुछ ध्यान में नहीं आ रहा था, लेकिन फ़िर धीरे धीरे कुछ गाने याद आने लगे. यह सूची बनायी है, हालाँकि इनमें से यह चुनना कि कौन सा गीत अधिक पसंद है कठिन है. कुछ गायकों के नाम याद आये पर उनका कोई गीत याद नहीं आया.

1. "कृष्णा नीबेगने बरो" जिसे कोलोनियल कज़नस् (Colonial Cousins) ने गाया था. इनकी इसी एल्बम में से मुझे "स नि धा पा गा मा गा रे सा" भी बहुत अच्छा लगता है लेकिन अगर एक ही चुनना पड़े तो मैं "कृष्णा" को ही चुनुँगा.



2. रब्बी का गाया "बुल्ला की जाणा मैं कौण" - इस गाने के बाद मैंने रब्बी की एक और एँल्बम भी खरीदी थी जो मुझे अच्छी भी लगी थी, लेकिन अब सोचने पर भी उसके गीत याद नहीं आते.

3. मुकुल और मितुल का "सावन" यह दोनो गायक अधिक प्रसिद्ध नहीं हुए लेकिन मुझे इनके गाने का अंदाज़ बहुत पसंद है.




4. आशा जी का "इस तुमुल कोलाहल कलह में"

5. जगजीत सिंह और चित्रा सिंह का "सरकती जाये है रुख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता"

6. किशोरी आमोनकर का "सहेला रे"

7. अश्विनी भिडे देशपांडे का "गणपति विघ्नहरण गजानन". इस गीत के पीछे एक छोटी सी कहानी है. कुछ वर्ष पहले डा. देशपांडे हमारे शहर आयीं थीं. उनसे बात करने का भी मौका मिला. उनसे बात करते हुए मैंने उन्हें कहा कि मुझे उनका यह भजन बहुत प्रिय है. उस दिन शाम को जब उनका गायन कार्यक्रम समाप्त होने वाला था, उन्होंने इस गीत को मेरे लिए गाया. तब से यह गीत मेरे मन में और गहरा उतर गया.

8. मोहित चौहान का "सजना" - आज कल के गायकों में से मेरे सबसे प्रिय हैं मोहित चौहान.

9. ग़ुलाम अली का "आवारागी" - चालिस साल पहले यह गीत एक बार दिल्ली की ललित कला अकेदमी की लायब्रेरी में सुना था तो उसने मंत्र मुग्ध कर दिया था.

10. कुमार गंधर्व का "उड़ जायेगा हँस अकेला" - बचपन में कुमार गंधर्व जी के निर्गुणी भजनों से मेरी मुलाकात मेरे छोटे फ़ूफा ने करायी थी. उसके बाद कई बार कुमार गंधर्व जी को गाते हुए सुनने का मौका भी मिला. उनके कबीर भजन मुझे बहुत प्रिय हैं.

यह दस गीत तो मैंने आज चुने हैं लेकिन यह भी है कि समय के साथ मेरी पसंद भी बदलती रहती है. आप के सबसे प्रिय गैर फ़िल्मी गीत कौन से हैं, हमें भी बताईये. शायद आप की पसंद के गीतों में मेरी पसंद के अन्य गीत भी छुपे हों?

***

16 टिप्‍पणियां:

  1. mujhe jagjeet singh ka sarkti jaaye rukh se nakaab bahut jyada pasand hai.vese to sabhi geet bahut achche hain.aapki choice umda hai.

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  2. १. पंकज मालिक का गीत "तेरे मंदिर का हूँ दीपक जल रहा".

    २. उस्ताद बड़े गुलाम अली खान का "याद पिया की आए".

    ३. मुकेश का एक गैरफिल्मी गीत है, "तुम आज हँसते हो, हंस लो मुझपर".

    ४. फ्यूज़न का "मोरा सैंया मो से बोले ना".

    ५. रब्बी का एक और गीत है, "इक कुड़ी, ज़िंदा नाम मोहब्बत..."

    लिंक लगाना मुश्किल है, आप इन्हें यूट्यूब में खोज सकते हैं.

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  3. निशांत जी, गानों के सुझाव के लिए विषेश रूप से धन्यवाद. आप के सुझाये गीतों में से फ़्यूजन का मौरे सैंया बहुत अच्छा लगा.

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  4. यह बाद में याद आया, चित्रा और उस्ताद सुलतान खान का "शाम ढले" http://www.youtube.com/watch?v=Jj6qNaKu7Qw

    लकी अली के कुछ गीत अच्छे हैं. यह बेहतरीन है "तुम्ही से" http://www.youtube.com/watch?v=NzcbMTOsNmw

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  5. लक्की अली तो मुझे वैसे बहुत अच्छे लगते हैं लेकिन शायद उनके गैर फ़िल्मी गीतों को नहीं जानता. सुल्तान खान जी से परिचय कराने के लिए धन्यवाद. :)

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  6. लकी अली ने दो-तीन गैरफिल्मी अल्बम किये हैं जिनके नाम हैं लकी, सुनोह, और सफ़र. उन्होंने शुरुआत गैरफिल्मी ही की थी और उसमें ही वे अधिक सफल रहे.
    लकी अली का ये गीत मुझे बहुत पसंद है "नहीं रखता दिल में कुछ"
    http://www.youtube.com/watch?v=lsOMAXjoOis

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  7. बहुत सुंदर है, निशांत मुझे भी बहुत अच्छा लगा यह गाना.

    लक्की अली की गैर फिल्मी एल्बम को खोजना पड़ेगा!

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  8. मुझे गैर फिल्मी गायकों में कैलास खेर का कैलासा , लक्की अली के सभी अलबम विशेषत: "सुनो","सीफर" पसंद है. लक्की अली के सभी गैर फिल्मी गाने आपको पसंद आयेंगे ! यूफोरिया ग्रुप के "धूम", "फिर धूम","गली" पसंद है !

    नुसरत फ़तेह अली की कव्वालियाँ भी पसंद है जिसमे "तू एक गोरखधंधा है" सबसे ज्यादा पसंद है !

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  9. धन्यवाद दिनेश जी.

    आशीष, कैलाश खेर मुझे भी बहुत अच्छे लगते हैं, जैसे सैंया और चाँदन मा. यूफोरिया को नहीं जानता, उन्हें सुनने की कोशिश करूँगा. धन्यवाद.

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  10. जैसे पठन-पाठन की रुचि व्यक्ति की उम्र के साथ बदलती है, उसी तरह गीत-संगीत भी.
    बहुत पहले, जगजीत-चित्रा के एक-एक गीत को हजारों बार सुनते थे, तो भी जी नहीं अघाता था. ये कागज की कश्ती ये बारिश का पानी..
    फिर ग़ुलाम अली आए. उनकी गाई हर ग़ज़ल लाजवाब.
    बाद में मेंहदी हसन की गाई हर ग़ज़लें समां बांधती रहीं खास कर - दिल जलाने के लिए आ...
    इस बीच अहमद-हूसैन मुहम्मद हुसैन पसंद की सूची में घुसे - विशेष तौर पर मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा और ऐ सनम तुझसे जब दूर चला जाऊंगा..
    फिर शुभा मुद्गल, शारदा सिन्हा
    बीच के अंतरालों में माइकल जैक्सन, बोनी एम, ब्रिटनी स्पीयर्स..पीनाज मसानी जुनून सुनिधि चौहान इत्यादि....
    10 छांटना तो मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है :)

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  11. रवि, मेरी पसंद भी उम्र और समय के साथ बदलती रही है. इस पोस्ट के माध्यम से मेरी कोशिश है कि लोगों से अच्छे नये गायकों के बारे में पता चले, क्योंकि भारत से दूर रहने से, मालूम ही नहीं चलता कि कौन से अच्छे नये लोग आये. फ़िल्मी गाने तो फ़िर भी सुन लेता हूँ, गैर फ़िल्मी ही मालूम नहीं चलते. तुमने अहमद हुसैन मुहम्मद हुसैन के बारे में बताया तो मैं तुरंत उन्हें खोजने गया और सुना. धन्यवाद.

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  12. आज का दिन तो आपके नाम रहा, सुबह से आपकी पोस्ट सुन रहे हैं।

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  13. प्रवीण, कभी कभी बड़े बूढ़ों के लिए समय निकले तो यह अच्छी बात ही है! :)

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  14. आपका बहुत बहुत धन्यवाद मेरी पोस्ट पर टिपण्णी के लिए...जिसकी वजह से मैं यहाँ तक पहुँच कर इतना सुमधुर संगीत सुन पायी .......पुनः आभार आपका .....!!

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  15. बहुत सुन्दर गीत चुने हैं आपने! मैं भी कई दिनों से आशाजी के एक गीत की तलाश में हूँ: मोरे मंदिर अब लौ नहीं आये, पथ देखत नैना पथराये...
    शायद चालीस साल पहले सुना होगा, पता नहीं क्यों बीच बीच में याद आ जाता है! आप जैसा कोई दर्दी ही मुलाकात करवा दे!
    वैसे आज कल के करीब सभी गायकों ने, कम से कम पुरुष गायकों ने मेरे लिखे गीत गए हैं ---सोनू, शान, दलेर, अदनान, शंकर, विजय प्रकाश, पलाश सेन; महिलाओं में मधुश्री, स्नेहा पन्त , सपना मुख़र्जी, ..पर लोगों को सबसे पसंद आया बाल कलाकार श्रवण का हनुमान के लिए गाया akdam बकडम ! ऐसा भी होता है..

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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