कल के समाचारों में दो बातों ने सोचने पर मजबूर किया. पहली खबर थी शाहरुख खान के नये विज्ञापन की चर्चा, यानि लक्स साबुन का विज्ञापन जिसमें वह टब में नहाते हुए दिखाये गये हैं.
दूसरी बात थी दिल्ली के क्नाट प्लेस की जहाँ कार चलाती हुई २७ वर्षीय युवती को मोटर साइकल पर जा रहे दो लड़कों ने छेड़ा और मार पिटाई की. उस समय कार में युवती के साथ उसकी माँ, छोटा भाई और मंगेतर भी थे.
सोच रहा था कि कैसे धीरे धीरे स्त्री और पुरुष के रुप और समाज स्वीकारित व्यवहार बदल रहे हैं.
पुरुषों के लिए कोमल होना, संवेदनशील होना, नृत्य, संगीत या संस्कृति की बात करना, लाल या गुलाबी रंग के कपड़े पहनना, आँसू बहाना, जैसी बातें उसमें किसी कमी या फिर उसकी पुरुषता के बारे में शक पैदा कर देती हैं. ऐसे में बिना यह सोचे कि दूसरे क्या सोचेंगे या कहेंगे, जो मन में आये करना केवल विकसित आत्मविश्वास वाले लोग ही कर सकते हैं. पर छोटी छोटी बातों में कुछ परिवर्तन सभी पुरुषों के जीवन में आये हैं. पिता के लिए बच्चे से प्यार जताना पहले पुरुष व्यवहार के योग्य नहीं समझा जाता था, सड़क पर कोई आदमी गोद में बच्चे के साथ दिख जाये तो कुछ अजीब सा लगता था, पर आज इसमें किसी को अजीब नहीं लगता.
दूसरी तरफ औरतें घर से बाहर निकल रहीं हैं, बहुत बार पुरुषों से अधिक कमाती हैं, उनमें आत्म विश्वास है. जो युवक क्नाट प्लेस में कार चलाती युवती के साथ बद्तमीजी कर रहे थे, शायद उसकी वजह केवल गुंडा गर्दी ही हो पर मुझे शक है कि उसके साथ साथ स्त्रियों के बढ़ते आत्मविश्वास के सामने नीचा महसूस करने का गुस्सा भी हो सकता है ?
आज की तस्वीरों में आज के नये स्त्री पुरुष जिन्हें समाज स्वीकृति या अस्वीकृति की चिंता नहीं:
बुधवार, सितंबर 14, 2005
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