शनिवार, अक्टूबर 29, 2005

यह हमारे परिवार

रात को ११ बजे जब मोंतेसिलवानो से घर वापस लौटा तो कई हफ्तों के बाद चैन से सोया. पिछले तीन सप्ताह भागमभाग में निकल गये, ठीक से साँस लेने का भी समय नहीं था. रोम, दिल्ली, पादोवा, जेनेवा, मोंतेसिलवानो, तीन हफ्तों में तीन देशों में पाँच शहर घूमा हूँ. ऐसे घूमने में सबसे बुरी बात है कि किसी भी यात्रा को ठीक से जी सकने का मौका नहीं मिलता. सब यात्राँए काम से संबंधित थीं पर दिल्ली यात्रा के दौरान, एक परिवारिक काम भी था, बेटे की शादी पक्की करना.

जीवन एक चक्र है. लगता है जैसे कल ही तो बेटा पैदा हुआ था. थोड़े दिनों में वह अपना नया परिवार बनायेगा और हमारा परिवार बड़ा बन जायेगा.

शायद इसी लिए जेनेवा में झील के किनारे लगी संयुक्त राष्ट्र संघ की फोटो प्रदर्शनी मुझे बहुत अच्छी लगी. फ्राँस में रहने वाली फोटोग्रागर, उवे ओम्मर, ने यह तस्वीरें कई वर्षों तक विभिन्न देशों में घूम कर खींची हैं. फोटो में विभिन्न देशों के परिवार हैं. भारत के दो प्रतिनिधि परिवार हैं, एक राजस्थान में उदयपुर के पास का गाँव का परिवार जो फ़ूलवती की कहानी बताता है, फ़ूलवती विधवा हैं और अपने भाई के परिवार के साथ रहती हैं. दूसरा दिल्ली का एक सिख परिवार है, जिसमें लड़का सचिन तेंदुलकर का नाम लिखा बैट ले कर खड़ा है. एक के बाद एक, अफ्रीका, यूरोप, एशिया, अमरीका के परिवारों की तस्वीरें देख कर लगता है, उनकी भिन्न वेषभूषाँए और चेहरों के बावजूद उनमें एक समानता है.

आज दो तस्वीरें इसी प्रदर्शनी से.


1 टिप्पणी:

  1. घर में लक्ष्मी स्वरूप पुत्रवधू आने की बधाई।
    -राजेश
    (सुमात्रा)

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