मैं सोचता हूँ कि जैसे भारत में हिंदु धर्म में गौ मास खाने के प्रति गहरी सामाजिक धारणाएँ हैं, कैथोलिक समाज में गर्भपात के विषय पर भी कुछ कुछ वैसा ही है और जब कोई बात हमारी भावनाओं से गहरी जुड़ी हो उस विषय पर बहुत से लोग तर्क या बिना तर्क, किसी बात को नहीं सुनना चाहते. कैथोलिक धर्म में परिवार नियोजन यानि कण्डोम या गोलियों के उपयोग से स्त्री का गर्भवति होने से बचने को भी गलत माना जाना है. जब समाज में किसी विषय पर इस तरह को सोच हो तो उस पर खुल कर बात करना कठिन हो जाता है.
बींसवीं सदी में बदलते इतालवी समाज ने सेक्स और बच्चा पैदा करना, इन दोनो बातों को अलग कर दिया. युवतियाँ काम करने लगीं, उनके विवाह करने या न करने से जुड़े सामाजिक विचार बदलने लगे, शादी करने की उम्र बढ़ गयी और बच्चे पैदा होना कम होने लगा. पिछले चालिस सालों से इटली की जनसंख्या की विकास दर नेगेटिव है यानि पैदा होने वालों की संख्या मरने वालों से कम है और हर वर्ष यहाँ की जनसंख्या कुछ कम हो जाती है. तब गर्भपात के विषय पर भी विमर्श होने लगा. लोगों को मानना पड़ा कि चाहे धर्म इसे गलत कहता है पर हज़ारों औरतें हर साल गैरकानूनी गर्भपात में जान खोती हैं या दूसरी बीमारियाँ ले लेतीं हैं, और उन्हें कानून गर्भपात की सुविधा मिलनी चाहिये.
जब लोगों की माँगे बढ़ीं तो इतालवी सरकार ने स्वयं निर्णय न लेने के लिए जनमत का आयोजन किया जिसका निर्णय था कि इटली की अधिकाँश जनता कानूनी गर्भपात की सुविधा चाहती है. इसकी वजह से नया कानून बनाया गया जिसका नाम है कानून नम्बर 194. इस कानून के अनुसार अस्पतालों को गर्भवती औरतों को सलाह और सहारा देना होगा, वह अगर चाहे तो अपना नाम बिना बताये बच्चा पैदा होने के बाद उसे अस्पाल में छोड़ सकती है या गोद लेने के दे सकती है, पर अगर वह गर्भपात का निर्णय लेती है तो यह भी संभव है.
तीस साल पहले बने इस कानून पर चर्चा होती ही रहती है, बहुत से धार्मिक लोगों का कहना है कि यह कानून गलत है और इस पर पुनर्विचार होना चाहिये. हालाँकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार धीरे धीरे इटली में गर्भपात कराना बहुत कम हो गया है और इसका अर्थ है कि यह कानून अच्छा काम कर रहा है. आजकल अधिकतर गर्भपात प्रवासी स्त्रियाँ करवातीं हैं क्योंकि उनके पास परिवार का सहारा नहीं होता और पैसा भी कम होता है. पर फ़िर भी कुछ राजनीतिक दल चुनावों में इस बात को उछाल रहे हैं कि अगर वह जीतेंगे तो इस कानून को बदला जायेगा. इस तरह की बातों का विरोध करने वाले भी मैदान में उतर आये हैं, जिनमें से एक ने नया वेबपृष्ठ बनाया है "हाथ न लगाना" (Non Toccarla) जिस पर जाने माने लोग जैसे अभिनेत्रियाँ, लेखक, आदि अपने पेट पर लिखते हैं "194 को हाथ न लगाना" और उनकी फोटो इस वेबपृष्ठ पर लगा दी जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संघ के अनुसार दुनिया में हर वर्ष हज़ारों औरतें गैरकानूनी गर्भपात की वजह से मरती हैं, बहुत सी औरतों को इंफैक्शन हो सकता है जिससे भविष्य में उन्हें कठिनाईयाँ हो सकती हैं. इस लिए मैं कानूनी गर्भपात के पक्ष में हूँ.
भारत में स्थिति कुछ उलटी है. कानूनी गर्भपात को परिवार नियोजन का हिस्सा बनाया गया है. और अल्ट्रासाउँड से टेस्ट करवा कर लड़की हो तो गर्भपात करवाना इतना अधिक बढ़ गया है कि देश के बहुत से हिस्सों में लड़कों के अनुपात में लड़कियों की सँख्या बहुत कम होती जा रही है. अर्थशास्त्री अमर्तयासेन के अनुसार भारत में एक करोड़ गुमशुदा लड़कियाँ हैं, यानि वे लड़कियाँ जिन्हें गर्भपात द्वारा पैदा नहीं होने दिया गया. इसके विरुद्ध कानून बना कर भी कुछ करना कठिन है और जनता की सोच को बदलने के लिए औरतों का आर्थिक विकास और स्वतंत्रता बहुत आवश्यक हैं.
गर्भपात हर जगह स्वाथय से जुडा होने की जगह, राजनीतिक मुद्दा बन गया है। हमेशा की तरह अमेरिकी चुनाव में भी ये एक मुद्दा है।
जवाब देंहटाएंकल ही एक कार पर स्टीकर देखा - Smile, Thank your mom, she chose life!.
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जवाब देंहटाएंwith regards
edgar dantas
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