सोमवार, जुलाई 07, 2008

मेरी गलती

कुछ दिन पहले की मेरी एक पोस्ट पर राज भाटिया जी ने टिप्पणी दीः
"मुझे तरस आता हे आप की सोच पर,बस ज्यादा कुछ नही लिखुगां"

उसके थोड़ी देर बार बाद किसी ने बनाम हो कर राज भाटिया के बारे में यह टिप्पणी दीः
"राज भाटिया जी आप अपने बूढे माता-पिता को रोहतक मे छोडकर विदेश मे मजे कर रहे है। पिताजी के देहाण्त मे भारत आते है तो भारत और इसकी समस्याए आपको नागवार गुजरती है। अकेली माँ को छोडकर फिर विदेश चले जाते हो। ऐसे उच्च संस्कार वाले तथाकथित भारतीय को तो निश्चित ही दीपक जी के लिखे पर तरस आना चाहिये। जिस देश तुन्हे पोसा और जिस माँ ने तुम्हे जन्म दिया उसी की निन्दा अपने ब्लाग पर करते हो, तब तरस नही आता लिखे पर---"

वैचारिक रूप से राज जी की टिप्पणी में कुछ दम नहीं था, किसी की बात का विरोध करना हो तो यह भी लिखा जा सकता है कि मैं आप की बात से सहमत नहीं या फ़िर असहमती की दलीलें भी दीं जा सकती हैं. पर फ़िर भी उनकी टिप्पणी से बहुत साल पहले के दोस्तों से होने वाली बहसें याद आ गयीं, जब आपस में अक्सर इस तरह की बात किया करते थे कि "मुझे तुम्हारी सोच पर तरस आता है, इत्यादि". अक्सर इस तरह की बात कहने पर बहस गरम हो जाती थी.

साथ ही मैं मानता हूँ कि हर किसी को अपनी बात कहने का पूरा हक है, शर्त केवल इतनी है कि व्यक्तिगत बातें न की जायें और मार पीट या हिंसा की बात न हो.

पर बेनाम टिप्पणी मुझे बुरी लगी. जिसने भी लिखा था उसे राज जी की टिप्पणी अच्छी नहीं लगी होगी और उसने इस तरह मेरी रक्षा करने की सोची. यह भी लगा कि मेरी बूढ़ी माँ भी तो दिल्ली में मेरी बहन के पास रहती है और इस तरह का आरोप मुझ पर उतना ही लगाया जा सकता है. यह भी बुरा लगा कि बहस किसी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में थी और इस तरह के बहस करने के तरीके से मैं बिल्कुल सहमत नहीं.

पर यह सोच कर भी मैंने लापरवाही की. इस बात पर कुछ नहीं कहा या लिखा. आज राज जी की दूसरी टिप्पणी देखी तो मुझे अपनी गलती का अहसास हुआः
"दीपक जी मुझे ऎसी टिपण्णी नही देनी चाहिये थी , यह आप का बलाग हे आप चाहे जो लिखे, मे आप से माफ़ी चाहता हु, बस पता नही क्यो मुझे कुछ अच्छा नही लगा ओर यह वेब्कुफ़ी कर बेठा,आशा करता हु आप जरुर मेरी गलती को नजर अंदाज करेगे,धन्यवाद"

अब समझ में आया कि मुझे उस बेनाम टिप्पणी से अपनी असहमती तुरंत लिखनी चाहिये थी, और यह क्षमा राज जी को नहीं, मुझे माँगनी चाहिये थी, क्योंकि मेरे चिट्ठे पर उन पर यह व्यक्तिगत हमला हुआ था.

भविष्य में दोबारा ऐसा न हो इसके लिए सोचा है कि टिप्पणियों का moderation जारी करने से गलत टिप्पिणियों को रोका जा सकता है और आगे से ऐसा ही होगा.

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुनील जी,
    इस मामले में निश्चित गलती आपकी है, आपके ब्लॉग की पोस्ट पर किसी अनामी ने मुद्दे से हटकर एक अन्य व्यक्ति पर व्यक्तिगत हमला किया और अभी तक आपके चिट्ठे पर वो टिप्पणी दिख रही है |

    राज भाटिया जी की टिपण्णी भले ही आपसे असहमति रखती हो लेकिन असभ्य अथवा अमर्यादित नहीं है | ये भी सुखद है कि आशानुरूप आपने भी उसे उसी परिपेक्ष्य में लिया |

    मैंने अपने चिट्ठे पर माडरेशन नहीं लगा रखा है लेकिन आने वाली टिप्पणी की सूचना मुझे ईमेल से मिल जाती है और अगर उसमे कुछ ग़लत हो तो मैं उसे मिटा देता हूँ | अगर आप ईमेल चैक करने में नियमित हैं तो माडरेशन की आवश्यकता नहीं है |

    वैसे मुझे नहीं लगता कि ऐसी समस्या बार बार उत्पन्न होगी | लेकिन कृपा करके उस अनामी टिप्पणी को अवश्य हटा दें |

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी परिपक्वता और सज्जनता को सलाम करता हूँ दीपक भाई. आपने मेरी नजर में अपना उँचा कद और ऊँचा कर लिया है. बहुत बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  3. दुखद प्रकरण, आपका सराहनीय निर्णय

    जवाब देंहटाएं
  4. आप अपनी टिप्पणी के लिए जवाबदेह हैं या आलोचन के पात्र । आपकी पोस्ट पर टिप्पणी के लिए जिम्मेदार/गैर-जिम्मेदार टिप्पणी करने वाला है,आप नहीं।

    जवाब देंहटाएं
  5. नीरज, अगर किसी टिप्पणी को हटाना हो तो क्या करना चाहिये? मैंने कोशिश तो की पर समझ नहीं आया कि कैसे करते हैं.

    जवाब देंहटाएं
  6. यकीनन ये दुर्भाग्य पूर्ण है की ब्लॉग को माध्यम बना कर हम एक दूसरे पर छींटा कशी करें...आपने जिस परिपक्वता से इस मुद्दे को उठाया है वो प्रशंशनिये है. मोडेरेसन लगाने से ये सुविधा रहती है की आप इस प्रकार की आपतिजनक टिप्पणियों को अपने ब्लॉग से दूर रख सकें.
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  7. दीपक जी मुझे ना आप से शिकायत हे ना अनामी जी से, बल्कि मुझे ही सोच कर लिखना चहिये था, इस मे आप लोग दुखी या खुद को कसुर वार मत समझे , मेरी गलती थी,ओर मेने माफ़ी माग ली,अब यह आप का बड्ड्प्न हे की आप मेरी गलती को नजर अंदाज कर के अपने सर ले रहे हे, आप का धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. आपके इस लेख ने मन में जो छवि आपकी बनी थी उसे और निखारा है। मेरे विचार में यदि कोई अन्य हमारे चिट्ठे में आकर हमें बुरा भला कहे तो ठीक है परन्तु किसी अन्य को कहे तो गलत है।
    घुघूती बासूती

    जवाब देंहटाएं
  9. सुनीलजी,
    नमस्कार ।
    टिप्पणी को हटाने के लिये सबसे पहले ब्लागर.काम में जाकर अपने डैशबोर्ड में जायें । उसके बाद पोस्ट को क्लिक करेंगे तो कुछ नीचे दिये लिंक जैसा दिखेगा ।

    http://homer.rice.edu/~nrohilla/dashboard.jpg

    वहाँ पर पोस्ट के आगे "n comments" वाले लिंक को क्लिक करेंगे तो सभी कमेन्टस दिखने लगेंगे । उसका चित्र कुछ इस प्रकार का होगा ।

    http://homer.rice.edu/~nrohilla/remove_comment.jpg

    इसके बाद हर टिप्पणी के नीचे एक "कूडेदान" का आईकन सा बना मिलेगा जिसे मैने चित्र में पेंसिल से हाईलाईट कर दिया है । इस कूडेदान के आईकन को क्लिक करके आप टिप्पणी को मिटा सकते हैं ।

    धन्यवाद,
    नीरज

    जवाब देंहटाएं

"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख