समुद्री पाइन के पेड़ों की छत से ढ़का रास्ता
आज शनिवार है अभी सुबह जब ब्रान्दो के साथ सैर को निकला तो विभिन्न घरों के सामने लोगों के झुंड खड़े थे, अपना अपना सामान लिये हुये, अपनी बस का इन्तजार में. कुछ दूर पर एक अजैंसी के बाहर एक बस से उतर कर लोग अपने अपने घर की अलाटमैंट की इन्तजार कर रहे थे. इटली के आस पास के देश जैसे जर्मनी, पोलैंड, चेक आदि से सब टूरिस्ट शुक्रवार की रात को चलते हैं और यहाँ शनिवार को सुबह पहुचते हैं और फिर पिछले हफ्ते के आये टूरिस्टों को ले कर बसें वापस लौट जानीं हैं.
पहले एक देश होता था चेकोस्लोवाकिया और आज दो देश हैं चेक और स्लोवाकिया. यहाँ इन दोनो देशों को अलग होने मे कोई खून खराबा नहीं हुआ, क्यों? आज के यूरोप मे क्यों छोटे छोटे देश बनाने का क्या फायदा जब की दूसरी ओर से कोशिश हो रही है कि संयुक्त्त राष्टृ यूरोप का निर्माण करने का ?
जैसे आज यूरोप मे एक देश से दूसरे देश जाने मे न तो वीसा चाहिये और न ही वहाँ काम ढ़ूढ़ंने के लिये कोई परमिशन, अगर भारत, बांगलादेश, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों मे यूँ होने लगे तो कैसा होगा ? शायद इन सब देशों से बहुत से लोग भारत की तरफ आ जायेंगे क्यों कि भारत में कमाने के अधिक मौके मिल सकते हैं, पर इसी तरह भारतीय व्यापारी भी तो इन नये देशों मे व्यापार बढ़ाने के नये माध्यम खोज सकते हैं क्या एक दिन वैसा हो सकेगा ?
आज शनिवार है अभी सुबह जब ब्रान्दो के साथ सैर को निकला तो विभिन्न घरों के सामने लोगों के झुंड खड़े थे, अपना अपना सामान लिये हुये, अपनी बस का इन्तजार में. कुछ दूर पर एक अजैंसी के बाहर एक बस से उतर कर लोग अपने अपने घर की अलाटमैंट की इन्तजार कर रहे थे. इटली के आस पास के देश जैसे जर्मनी, पोलैंड, चेक आदि से सब टूरिस्ट शुक्रवार की रात को चलते हैं और यहाँ शनिवार को सुबह पहुचते हैं और फिर पिछले हफ्ते के आये टूरिस्टों को ले कर बसें वापस लौट जानीं हैं.
पहले एक देश होता था चेकोस्लोवाकिया और आज दो देश हैं चेक और स्लोवाकिया. यहाँ इन दोनो देशों को अलग होने मे कोई खून खराबा नहीं हुआ, क्यों? आज के यूरोप मे क्यों छोटे छोटे देश बनाने का क्या फायदा जब की दूसरी ओर से कोशिश हो रही है कि संयुक्त्त राष्टृ यूरोप का निर्माण करने का ?
जैसे आज यूरोप मे एक देश से दूसरे देश जाने मे न तो वीसा चाहिये और न ही वहाँ काम ढ़ूढ़ंने के लिये कोई परमिशन, अगर भारत, बांगलादेश, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों मे यूँ होने लगे तो कैसा होगा ? शायद इन सब देशों से बहुत से लोग भारत की तरफ आ जायेंगे क्यों कि भारत में कमाने के अधिक मौके मिल सकते हैं, पर इसी तरह भारतीय व्यापारी भी तो इन नये देशों मे व्यापार बढ़ाने के नये माध्यम खोज सकते हैं क्या एक दिन वैसा हो सकेगा ?
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