लंदन के बम विस्फौट की घटना के बारे में सोचने से, अपनी अन्य कई यात्राओं के बारे में याद आ गया, जब कोई विशेष बात हुई थी. पिछले १७-१८ वर्षों में इतनी बार यात्रा की है कि सबके बारे में याद रखना तो कठिन है पर फ़िर भी कई बार ऐसा हुआ कि उसे भूल पाना संभव नहीं है.
लंदन में रात
शायद १९९४ या १९९५ की बात है. जून का महीना था और मैं लंदन मे हमेशा की तरह हैमरस्मिथ के इलाके में एक होटल में ठहरा था जहाँ पहले भी बहुत बार ठहर चुका था. रात को गरमी बहुत थी, होटल में एयरकंडीशनिंग नहीं थी और न ही कोई पंखा था. कमरे की खिड़की ऐसी थी जो बस ऊपर से थोड़ी सी खुलती थी. इसलिये बस जाँघिया पहन कर सो रहा था. अचानक रात में कुछ शोर से नींद खुल गयी. खिड़की के बाहर से कुछ अजीब सी आवाज़ आयी थी. मैंने बिस्तर के पास की बत्ती जलायी और उठ कर खिड़की के पास आया. बाहर जो देखा तो एक क्षण के लिये दिल रुक सा गया और फिर बहुत तेज़ी से धड़कने लगा. होटल के चारों ओर हाथों में बंदूके लिये पुलिस वाले थे. उनमें से कुछ मेरी खिड़की की रोशनी जलने से सिर उठा कर मेरी तरफ ही देख रहे थे.
जल्दी से बत्ती बंद कर, मैंने खिड़की पर परदा कर दिया. एक बार तो सोचा कि बिस्तर के नीचे घुस जाऊँ, पर अंत में वापस बिस्तर में ही घुस गया. बदन काँपने सा लगा, पर कान बाहर की आवाज़ों पर ही लगे थे. कुछ देर के बाद बाहर से बंदूक की गोली चलने की आवाज़ें आयीं पर मैं बिस्तर से बाहर नहीं निकला. चद्दर सिर पर तान लेटा रहा. करीब दो घंटे यूँ ही गुज़रे फिर मेरी घड़ी का आलार्म बजा तो बिस्तर से निकला. तब तक कँपकँपाहट और घबराहट बंद हो गये थे. मैंने अपना सामान लिया और नीचे चैक-आऊट के लिये आया. चारों तरफ पुलिस वाले थे, कोई अखबार पढ रहा, कोई चाय पी रहा था. होटल वाले ने बताया कि होटल मे पुलिस ने आईरिश रिप्बलिकन आर्मी के एक आतंकवादी को पकड़ा था.
चीन में यात्रा
मई १९८९ का अंत था और मैं दक्षिण चीन में युनान प्रदेश की राजधानी कुनमिंग से बेजिंग की यात्रा कर रहा था. मेरे साथ मेरा एक इतालवी साथी था, फेरनान्दो. वह खिड़की की सीट पर बैठा था और मैं बीच की तरफ, कुछ पढ रहा था. अचानक फेरनान्दो ने कहा, देखो जहाज़ नीवे जा रहा है. सचमुच ज़हाज नीचे एक पहाड़ की तरफ जाता लग रहा था. शायद ज़हाज के पायलट ने चीनी भाषा में यात्रियों को बताया कि क्या हो रहा था पर हमें किसी ने कुछ नहीं बताया. कुछ ही देर में ज़हाज एक हवाई अड्डे पर उतरा. हमने पूछने की कोशिश की कि क्या हो रहा है पर तब समझ में आया कि एयर होस्टेस इत्यादी को अंग्रेज़ी के गिने चुने वाक्य ही आते थे. किस्मत से यात्रियों में ताइवान के कुछ पर्यटक थे जिन्होंने हमे बताया कि हम सियान शहर में उतरे हैं क्योंकि ज़हाज मे कुछ खराबी है और हमें कुछ दिन वहीं रुकना पड़ेगा.
बस मे जब हमें होटल की ओर ले जा रहे थे तो रास्ते में सड़कों पर हजारों लोगों, अधिकतर जवान लड़कों को सड़क पर नारे लगाते देखा. पता चला कि किसी नेता की मृत्यु हुई है और विद्यार्थियों में इस बारे में बहुत रोष है. दो दिन रुके हम सियान में. वहाँ के जग प्रसिद्ध मकबरे, जहाँ एक सम्राट के साथ हज़ारों टैराकोटा योद्धाओं की मूर्तियों को दफ़नाया गया था, को देखने भी गये.
अंत में जब बेजिंग पहुँचे तो उस दिन बारिश आ रही थी. स्वास्थ्य मंत्रालय में हमें लोगों से मिलना था वहाँ जाते समय तियानामेन स्कवायर से गुज़रते हुए देखा कि वहाँ भी विद्यार्थियों के झुंड जमा थे. बारिश में भीगते हुए कई लोग अपने आप को पीले रंग के प्लास्टिक से ढक कर बारिश से बचने की कोशिश कर रहे थे. मंत्रालय की मीटिंग के बाद हम लोग तियानामेन आये. विद्यार्थियों से बात करना तो भाषा की वजह से असंभव था. अगले दिन हम लोग बेजिंग से चल पड़े. फेरनान्दो वापस गया ईटली में और मुझे जाना था ओरलान्दो, अमरीका में. रात को ओरलान्दो में होटल में तियानामेन स्कवायर में चलते टैंक देखे तो बहुत धक्का लगा. इतनी बड़ी बात हो जायेगी यह तो सोचा भी नहीं था. उन विद्यार्थियों का सोच कर बहुत दुख हुआ.
आज दो तस्वीरें - एक बंगलोर के पास माँडया से और दूसरी रोम की नगर पालिका, काम्पी दोलियो सेः
शनिवार, जुलाई 09, 2005
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