कुछ समय पहले फ्राँस में जनमत (रेफेरेंडम) हुआ था यूरोपीय संविधान के बारे में. इसमे जीत हुई संविधान को न कहने वालों की. जनमत से पहले कई हफ्तों तक बहुत बहस हुई फ्राँस में, यूरोप के बारे में. उनका सोचना था कि पूर्वी यूरोप में पोलैंड, हंगरी, रोमानिया, स्लोवाकिया जैसे देशों से गरीब यूरोपी लोग पश्चिम यूरोप के अधिक अमीर देशों में आ कर मुसीबत कर देंगे. कई बार उदाहरण देने के लिए कहा गया कि पोलैंड के कम पैसों में नल और पाईप ठीक करने वाले फ्राँस में आ कर फ्राँस वासियों से काम छीन लेंगे.
उस समय तो पोलैंड वालो ने अपने बारे में ऐसी बातें सुन कर कुछ नहीं कहा पर कुछ सप्ताह पहले वहाँ के पर्यटक विभाग ने इस बात पर एक नया इश्तहार निकाला जो नीचे प्रस्तुत है. इसमें नल ठीक करने वाले कपड़े पहना एक युवक कहता है "मैं तो पोलैंड में ही रहूँगा, आप भी यहाँ आईये".
बजाये गुस्सा हो कर लड़ाई करने के, इस तरह से हँस कर चुटकी ले कर अपनी बात समझाना कँही बहतर है.
अनूप ने परसों के ब्लाग में तुरंत टिप्पड़ी की कि बिना मूर्ती की तस्वीर के उसके बारे में बात करना अधूरा है. क्या करता, पास में उस मूर्ती की कोई फोटो नहीं थी. आज इंटरनैट से खोजी इस मूर्ती की एक तस्वीर प्रस्तुत है. १५६५ में बनी यह मूर्ती जानबोलोनिय ने बनायी थी, जिन्हें बोलोनिया के लोग प्यार से जानबोलोनिया कहते हैं और मूर्ती को प्यार से "फोरकेतोने" यानि बड़े फोर्क वाला (हाथ में पकड़ा त्रिशूल, फोर्क जैसा ही है) कहते हैं.
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सर, आप के ब्लाग "जो न कह सके" का नाम तो आज सार्थक हुआ , बोलीनिया की नेप्चयून मूर्ति देख कर ! क्या खयाल है , तस्वीर की माँग करने वाले प्रथम सुधीजन का ?
जवाब देंहटाएंतस्वीर का क्लोज-अप क्या संभव नहीं ?
-राजेश
(सुमात्रा)
...... अगर ऐसा दक्षिण-एशिया में हो, तो फ्रांस की तरह किसी को चिन्तित होने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। :)
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