हर शहर में आप को सड़क के कलाकार यानि बस्कर मिल जायेंगे. रेलगाड़ी में या मेट्रो में या फिर सड़क के किनारे, अपनी कला से आप का मन जीत कर कुछ पैसे कमाने के लिए. यूरोप में कई जवान लड़के लड़कियाँ, यात्रा के दौरान अगर पैसे कम पड़ जायें तो गिटार बजा कर या गाना गा कर भी पैसे कमाने की कोशिश कर सकते हैं.
शायद कुछ लोग सोचते हों कि ये लोग भिखारी हैं कलाकार नहीं, पर मुझे कई बार यह सड़क के कलाकार बहुत अच्छे लगते हैं. लंदन में पिकादेली सर्कस के मेट्रो स्टेशन पर एसकेलेटर करीब सौ मीटर तक नीचे जाते हैं, और जब आप नीचे जा रहे हों तब नीचे खड़े हो कर वाद्य बजाने वालों की आवाज़ सुनायी देती है जो मुझे बहुत प्रिय है. एक बार वहाँ रावेल के "बोलेरो" को सुना था, जिसे आज तक नहीं भुला पाया.
बोलोनिया से करीब ५० किलोमीटर दूर एक शहर है फैरारा, जहाँ हर साल एक बस्कर फैस्टीवल लगता है. दूर दूर से सड़क के कलाकार यहाँ इस फैस्टीवल में अपनी कला दिखाने आते हैं. कल शाम हम भी इस फैस्टीवल को देखने गये. फैरारा वैसे भी, यानि बिना फैस्टीवल के भी देखने लायक है. शहर के बीचो बीच बाहरँवीं शताब्दी का किला है, कस्तैलो एसतेन्से और शहर के इस सारे भाग को युनेस्को ने विश्व सास्कृतिक धरोहर घोषित किया है. पर बस्कर फैस्टीवल की वजह से और भी दर्शनीय हो गया था.
कहीं अजीब सी लम्बी पाइप जैसा वाद्य बजाने वाला, कहीं ओरकेस्ट्रा, कहीं नाचने वाले, कहीं जादू वाले, स्पेन के फ्लामेंको नृत्य करने वाली लड़कियाँ, फ्राँस की गाना गाने वाली माँ बेटी, मूर्ती की तरह सजधज और बन कर खड़े लोग, ब्राज़ील के नाचने वाले. एक सुंदर सी लड़की आँखों पर मुखोटा लगाये बैठी थी, साथ में बोर्ड पर लिखा था "आप की आखौं में देख कर आप के बारे में बतायेगी" और उसके सामने आँखों मे झँकवाने के लिए लम्बी लाइन लगी थी.
हम लोग तो घूम घूम कर थक गये, पर सभी कलाकारों को देख पाना असंभव था. हर दस मीटर पर एक नया कलाकार, चार घंटे में जाने कितने देखे, पर मजा आ गया.
आज की तस्वीरें फैरारा के बस्कर फैस्टीवल से.
शनिवार, अगस्त 27, 2005
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