रविवार, अगस्त 28, 2005

छोटी सी पुड़िया

कल रात को टीवी पर समाचार में बताया कि स्विटज़रलैंड में एक नये शोध कार्य ने साबित कर दिया है कि होम्योपैथी सिर्फ धोखा है. इस शोध कार्य के अनुसार, लोगों को अगर होम्योपैथी की गोलियों के बदले सिर्फ चीनी की गोलियां दी जायें तो भी उतना ही असर होता है, यानि कि होम्योपैथी में दवाई का असर नहीं केवल मन के विश्वास का असर है.

इस समाचार से एक पुरानी बात याद आ गयी. करीब बीस बरस पहले एक बार मेरे कंधे में दर्द हुआ. तब डाक्टरी की पढ़ाई पूरी कर चुका था, तो अपने लिए दवाई खुद ही चुनी. चार पांच दिन तक ऐंटी इन्फलेमेटरी दवा की गोलियां खा कर पेट में दर्द होने लगा था पर कंधा का दर्द कम नहीं हुआ. फूफा तब रिटायर हो गये थे और होम्योपैथी की दवा देते थे, मुझसे सवाल पूछने लगे. पूछताछ कर के उन्होंने मुझे तीन पुड़िया बना दी. पहली पुड़िया मैंने वहीं खायी और उस दिन घर वापस आते आते, दर्द बिल्कुल गुम हो गया. मैंने बाकी की दोनो पुड़ियां सम्भाल कर पर्स में रख लीं. वे पुड़ियां मेरे साथ इटली आयीं. करीब सात आठ साल पहले, एक बार फिर कंधे में दर्द हुआ, तो उनमें से एक पुड़िया मैंने खा ली और दर्द तुरंत ठीक हो गया. आखिरी पुड़िया मैंने खो दी.

सोचता हूं कि हमारा सारा जीवन ही एक विश्वास प्रणाली के धरातल पर बनता है. आज की आधुनिक चिकित्सा विश्वास प्रणाली शरीर के विभिन्न हिस्सों की बनावट और काम के विश्वास के धरातल पर टिकी है. सभी इलाज और शोध कार्य भी इसी विश्वास के ऊपर टिके हैं.

पर मैं सोचता हूँ कि इस दुनिया में सभी चीज़ें, धरती, पानी आग, हवा, मानव, पशु, पंछी, पत्थर, पेड़, सब कुछ अंत में देखा जाये तो एक जैसे अणुओं का बना है, जिसके अंदर अल्फा, बीटा, गामा इत्यादि कण हैं. यही अणु दवा में भी हैं, शरीर में भी, हवा में भी, जीवित में भी, मरे हुए में भी. हम शरीर के भीतर जा कर माइक्रोस्कोप से देख कर, यंत्रों से माप कर, सोचते हैं हमने सब समझ लिया पर डीएनए में भी, जीनस में भी यही अणु हैं. जीवन ही एक रहस्य है जो अणुओं के बीच साँस भर देता है.

क्या मालूम कल एक और नयी विश्वास प्रणाली आ जाये और नयी दवाईयाँ बन जायें. तब तक मैं अपनी ब्लड प्रैशर की दवा तो लेता रहूँगा और जरुरत पड़े तो होम्योपैथी भी ले सकता हूँ, कोई भी शोध कार्य कुछ भी कहे, यही मेरे विश्वास हैं.

कुछ और तस्वीरें फैरारा के बस्कर फैस्टीवल की.

2 टिप्‍पणियां:

  1. सच है.मन का चिश्वास बहुत बडी बात होती है.

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  2. सुनील जी ,
    कल आप के ब्लाग पर लिखे "होम्योपैथी"चिकित्सा से सम्बन्धित एक और समाचार की कड़ी भेजने ही वाला था , कि , मुझे जाना पड़ गया और वह कड़ी मैं , कल भेजते-भेजते रह गया ।
    आज वही कड़ी पुनः भेज रहा हूँ। (कह नहीं सकता , यदि , आप ने पहले देख ली हो।)
    होम्योपैथी चिकित्सा के संबंध में एक समाचार

    बन्दर लैम्पंग के बारे में लिखा लेख , दरअसल दो भागों में विभाजित है। मेरा ख्याल है , आप इसका , दूसरा भाग ही पढ़ पाये होंगे क्योंकि , पता नहीं क्यों , इस लेख का पहला भाग , मैं जब भी अपने ब्लाग "छाया" पर पोस्ट करता हूँ , तो यह कुछेक दिनों बाद दिखना बंद हो जाता है । इस तकनीकी खामी का न तो कारण मेरी समझ में आ पाया है न हीं , इसका इलाज ढ़ूँढ़ सका हूँ। बहरहाल , इस लेख का पहला भाग मैंने फिर से पोस्ट कर दिया है। हाँ , टिप्पणी लिखने और लेख सराहने के लिये धन्यवाद।
    (फोटोग्राफ के लिये , कैमरे का प्रबन्ध करने में लगा हूँ। तस्वीरें "अपलोड" होते ही , आप को इसकी सूचना मिलेगी।)

    राजेश
    (सुमात्रा)

    जवाब देंहटाएं

"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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