कल शाम को लंदन से वापस आया. पिछली बार लंदन बम फटने से पहले गया था. सोच रहा था कि क्या बमों के फटने से लंदन बदल गया होगा ?
लंदन में रहने वालों से बात की तो यही सवाल पूछा. विभिन्न उत्तर मिले, पर सभी मान रहे थे कि कुछ बातों में उनका शहर बदल गया है. शहर के केंद्रीय हिस्से में रहने वाली सूसन बोली, "हमारे यहाँ रात का जीवन बिल्कुल बदल गया है. पहले रात को भीड़ होती थी, पब बीयर पीने वालों से भरे रहते थे, अब शाम को ७ बजे ही सड़कें खाली हो जाती हैं. पब वालों का बिजनेस बिल्कुल ठप्प हो गया है."
किसी ने कहा कि अब ट्यूब में कम भीड़ होती है, शहर में साईकल और स्कूटर चलाने वाले बढ़ गये हैं, विषेशकर बृहस्पतिवार को क्योंकि दोनो बार बम बृहस्पतिवार को ही फटे थे. एक और सज्जन बोले कि शुरु शुरु में अगर कोई ट्यूब में रकसेक या कंधे वाला बैग ले कर चढ़ता तो सब लोग उसे ध्यान से देखते थे.
पर मुझे तो कोई बदलाव नहीं लगा शहर में. यह सच है कि मैं रात को लंदन के केंद्रीय हिस्से में नहीं गया, पर ट्यूब में मुझे कुछ कम भीड़ नहीं लगी. वही धक्का मुक्की, वैसा ही विभिन्न देशों के पर्यटकों से भरा लंदन जहाँ एक तरफ नये आलीशान भवन बन रहे हैं, ट्यूब स्टेशन पर ही नये शोपिंग माल बने हैं और दूसरी तरफ गंदी, जंग लगी तारें जो ट्यूब की रेल लाइन के साथ साथ चलती हैं, स्टेशन कब बंद हो जायें पता नहीं, और मेट्रो वाले क्षमा माँगते हैं कि काम करने वालों की कमी की वजह से मेट्रों में कुछ देर हो सकती है.
आज की तस्वीरों लंदन के मिलेनियम पुल के पास से हैं
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मुझे तो लन्दन काफ़ी अच्छा लगता है. केन्द्रीय लन्दन की भव्य पुरानी शाही इमारतों के बीच मे से गुजरते हुए, लगता है कि आप अपने आप को भी उस बीते जमाने का हिस्सा समझने लगते हो.आप वाइनोपोलिस मे गये हो कभी? यह एक वाइन म्यूजियम है, मुझे काफ़ी अच्छा लगा वहाँ.
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