मंगलवार, जून 06, 2006

कैसे कहें ?

पहले सोचा कि लोरेना बेरदुन (Lorena Berdùn) के बारे में लिखूँ. रात को देर हो गयी थी, जब डीवीडी देख कर उसे बंद किया तो टेलीविज़न का एक प्रोग्राम आ रहा था. सुंदर लड़की, थोड़े से कपड़े पहने, बात कर रही थी यौन सम्बंधों की. बात करने का बिल्कुल सीधा अंदाज़, यानि दूध का दूध और पानी का पानी, कुछ भी कहने में उसे कुछ झिझक नहीं थी, हाथ के इशारों से हर बात अच्छी तरह समझाती थी ताकि जिनको सुनाई कम देता हो, वे भी बात को ठीक से समझ सकें.

अंतरजाल पर खोजा तो पाया कि कुमारी लोरेना तो बहुत प्रसिद्ध हैं. स्पेनवासी लोरेना ने मनोविज्ञान की उच्च शिक्षा के बाद यौनज्ञान विषेशज्ञ का काम अपनाया और कुछ पत्रिकाओं में पढ़ने वालों के पत्रों के उत्तर देने का काम शुरु किया. जल्दी ही उनकी प्रसिद्धी फैलने लगी क्योंकि वे सभी प्रश्नों के उत्तर बड़े खुले तरीके से देतीं थीं. कुछ ही समय में उन्हे टेलीविजन पर अपनी बात कहने का मौका मिलने लगा. वहाँ उन्होंने बिना झिझक किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के साथ साथ कम कपड़े पहनने का काम प्ररम्भ किया. कुछ नग्न तस्वीरें भी खिंचवाईं. चूँकि स्पेन में कोई यह कह कर कि "हमारी संस्कृति में ऐसा करना पाप है, हम इसे न होने देंगे", दँगा फसाद करने वाले नहीं थे, तो लोरेना जी का नाम दिन दूना रात चौगुना बढ़ा और स्पेन से बाहर भी फ़ैलने लगा.

आजकल वह इतालवी टेलीविजन की ला7 (La7) चैनल पर रात को 11 बजे के बाद आने वाले एक कार्यक्रम में नाम कमा रहीं हैं. सोचा कि आप को उनके कुछ प्रश्न और उत्तर नमूने की तरह दिखाये जायें. उनके अंतरजाल पर प्रस्तुत कुछ स्पेनिश भाषा के साक्षात्कारों को खोजा पर उनका हिंदी में अनुवाद नहीं कर पाया. ऐसी बातें करने के लिए तो एक "केवल व्यस्कों के लिए" चिट्ठे की आवश्यकता है!
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आज की तस्वीर है मिस्र से, गीज़ा के पिरामिडों के पास. तस्वीर वाली औरत कुँगफू स्टाईल में हाथ ऊपर नीचे उठा रही थी तो मैंने तुरंत तस्वीर खींच ली. बाद में समझ में आया कि वह ऐसा क्यों कर रही थी. आप बताईये, क्या कर रही थी वह ?

5 टिप्‍पणियां:

  1. "ऐसी बातें करने के लिए तो एक "केवल व्यस्कों के लिए" चिट्ठे की आवश्यकता है!"
    सुनिलजी "काम : एक कला" नामक चिट्ठा इसी लिए तो हैं. झिझक छोड कर आप लिख भेजीए. यहां रख दिया जायेगा. यह तो जानकारी बाँटना ही हुआ ना.

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  2. ऊपर वाली कोमेंट मेरी हैं, जो भुल से केवल स के नाम से प्रकाशीत हुई हैं.

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  3. सुनील जी,

    फ़ोटो के बारे में:

    वह मोहतरमा, अपने पीछे वाले दोनो पिरामिड्स के उपरी छोर के उपर पर अपने दोनो हाथ रखवा के (perspective में) तस्वीर खिंचवा रहीं हैं, मुझे तो ऐसा लगता है.

    कहिये, सही है क्या?

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  4. विजय, तुमने बिल्कुल सही बताया, एक कोण से तस्वीर लो तो लगता है कि तुम्हारी उँगलियाँ दोनो पिरामिडों की चोटी को छू रही हैं.

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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