रविवार, जनवरी 20, 2008

लेखकों से बदहज़मी

तीन दिन कैसे बीते, मालूम नहीं चला. टूरिन पहुँचते ही पहले उदयप्रकाश जी और मोरवाल जी से भेंट हुई.

उसी पहली शाम, मोरवाल जी से साक्षात्कार रिकार्ड किया. हिंदी में बात करने से बात करने का ढँग बदल जाता है और बिना "आप" या "जी" के बात करना अच्छा नहीं लगता. वहाँ मिले अँग्रेजी लेखकों से मिलते ही "यार" और "तू, तुम" कर बात होने लगी थी पर उदय जी या मोरवाल जी उस तरह बात करने की सोच कर अटपटा सा लगता. और जितनी बार मोरवाल जी को "भगवान जी" कहता वह कहते कि इस तरह न बुलाईये, अच्छा नहीं लगता! अब तक उनकी कोई किताब नहीं पढ़ी थी, अब उनसे दो किताबें पायीं हैं तो पढ़ने की उत्सुक्ता है.

उदय जी उतनी अधिक बात नहीं हुई. जब भी हुई तो लगता कि जैसे मैंने उन्हे चिढ़ाने या तंग करने की ठान ली हो, वे कुछ भी कहते उसका उल्टा ही बोलता. कुछ बार लगा कि शायद उन्हें बुरा लगा है तो स्वयं पर कुछ संयम किया पर जाने क्यों उन्हे उकसाने में मुझे आनंद आ रहा था.

कन्नड़ लेखिका गायत्री और उनके पति, कृष्णा मूर्ती से मिले तो पल में ही आत्मीयता हो गयी. दम्पत्ती, सीधे साधे भोले से थे, दोनो ही भौतिकी के स्नातक हैं और गायत्री जी ने उपन्यास आदि के अतिरिक्त बच्चों का साहित्य और विज्ञान को सरलता से समझाने के लिये भी लिखा है. इटली में रहने वाली उनकी कज़िन जया से मिलना भी सार्थक हुआ. जया जी ने स्वयं भी दो किताबें लिखीं हैं, एक हिंदू धर्म पर, और दूसरी शाकाहारी होने पर, पर साथ ही उन्होंने गायत्री मूर्ती के कन्नड़ उपन्यास "हुम्बला" का इतालवी भाषा में अनुवाद किया है.

इग्लैंड में पले बड़े हुए निरपाल सिंह धालीवाल को देखा तो थोड़ा सा अजीब सा लगा. सर्दी में भी सादा पैंट और टीशर्ट में घूमना. उनका रूखी सी बात करने का तरीका देख कर लगा कि शायद इस व्यक्ति से बात करना आसान नहीं होगा. फ़िर एक दिन खाने के समय साथ बैठे. हमारे साथ इराकी मूल के एक पत्रकार रशीद और सिंगापूर की भारतीय मूल की इटली में रहने वाली सीमा जी भी थे. एक बार बात शुरु हुई अपनी पहचान के बारे में, धर्म की सीमाओं के बारे में, विभिन्न देशों, धर्मों और संस्कृतियों के मिश्रण से बने परिवारों के बारे में, तो इतनी दिलचस्प बनी कि जब वहाँ से उठना पड़ा तो मन में दुख हुआ.

तरुण तेजपाल, एम जे अकबर, दोनो के भाषण बहुत अच्छे लगे, तरुण जी से कुछ बात करने का भी मौका मिला. अँग्रेजी में लिखने वाले अन्य भारतीय लेखकों जैसे अनीता नायर, सुधीर कक्कड़, अल्ताफ टायरवाला, लावण्या शँकरन, सभी को जानने पहचानने का कुछ मौका मिला. उनके साथ साक्षात्कार भी रिकार्ड किये. साथ ही अपने कुछ प्रिय अन्य देशों से आये लेखकों को भी मिलने का मौका मिला जैसे कि ताहार बेन जालून, लुईस सेपुलवेदा, रोज़ेत्ता लोय, पीटर श्नाईडर, ब्जोर्न लारस्सन, आदि.

लगता है कि जैसे जरुरत से ज़्यादा लेखकों के विचार, उनकी बातें दिमाग में घुसने से कुछ तूफ़ान सा आ गया हो. कुछ दिन आराम करने को मिले तो इन विचारों को तरतीब से सँवारने और शायद, समझने का समय मिले.

इन्ही तीन दिनों की कुछ तस्वीरें प्रस्तुत हैं. इनमें उदयप्रकाश जी, भगवान जी, गायत्री जी, सुधीर कक्कड़ जी और मेरी वाली गोष्ठी की तस्वीरें नहीं हैं क्योंकि मंच पर होने से मैं नहीं खींच सकता था.

9 टिप्‍पणियां:

Mired Mirage ने कहा…

तसवीरें तो नहीं दिखीं परन्तु आपकी लम्बी छुट्टी का कारण पता चल गया ।
घुघूती बासूती

नितिन | Nitin Vyas ने कहा…

आशा है, बदहजमी जल्दी ही दूर होगी और आप रिकार्डिंग हम सबको सुनवायेंगे।

संजय बेंगाणी ने कहा…

आगे के लेखो की प्रतिक्षा है.

mamta ने कहा…

गोष्ठी की विस्तृत जानकारी देने का शुक्रिया।

Priyankar ने कहा…

विवरण भी पढा और तस्वीरें भी देखीं . धन्यवाद !
उदयप्रकाश और भगवानदास मोरवाल से हुई बात-चीत का विस्तृत विवरण कृपया अलग से दें .

Sunil Deepak ने कहा…

तस्वीरों वाली लिंक नये पृष्ठ पर खुलती है, अगर न खुले तो शायद पोपअप ब्लोक करने की वजह से हो. उस ब्लोक को हटाने से दिख जायेंगी.

Marged Trumper ने कहा…

नमस्ते सुनील जी! मैं मार्गेत फ्रांचेस्का दियानो की बेटी लिख रही हूँ. जैसे कि मैं लिख चुकी हूँ मुझे आपके ब्लोग्स और सइत बहुत पसन्द हैं. खुशी है कि थोडी हिन्दी पढ सकती हूँ. वर्णन और तस्वीरें बहुत अच्छे हैं, मैंने अपनी माँ को भी उन्हें दिखाया. क्या आप लेखकों की भेंटें ब्लोग या सइत पर लिखेंगे?

Rohit Tripathi ने कहा…

Tasvire achi lagi.

New Post - Titanic : The hottest love has the coldest end

saraswatlok ने कहा…

aadarniye sunil ji namaskar, aak ka blog padkar bahut aacha lagga ki. kai subject aise bhi hain jo tej rafftaar bhari jindgi main kahin na kahin bahut peeche chote ja rahe hain,lekin us per dhayan dena hum sabhi ka kartaya hai.

इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख