शनिवार, दिसंबर 08, 2012

वियतनाम में बुद्ध धर्म


गौतम बुद्ध के उपरांत, कुछ सदियों में ही बुद्ध धर्म भारत और नेपाल से निकल कर पूर्वी और पश्चिमी एशिया में फ़ैल गया. वियतनाम में बुद्ध धर्म चीन से तथा सीधा दक्षिण भारत से, प्रथम या द्वितीय ईस्वी में पहुँचा. वियतनामी बुद्ध धर्म पर चीन से ताओ धर्म तथा प्राचीन वियतनामी मिथकों के प्रभाव दिखते हैं. आज करीब 80 प्रतिशत वियतनामी स्वयं को बुद्ध धर्म के अनुयायी मानते हैं.

बुद्ध धर्म के वियतनाम में पहुँचने के करीब पाँच सौ वर्ष बाद, भारत से हिन्दू धर्म का प्रभाव भी वियतनाम पहुँचा जो कि मध्य तथा दक्षिण वियतनाम के चम्पा सम्राज्य में अधिक मुखरित हुआ. वियतनाम में चम्पा साम्राज्य की राजधानी अमरावती, तथा अन्य प्रमुख शहर जैसे विजय, वीरपुर, पाँडूरंगा आदि में बहुत से हिन्दू मन्दिर बने जिनके भग्नावषेश आज भी वियतनाम के मध्य भाग में देखे जा सकते हैं. इस तरह से वियतनामी बुद्ध धर्म में हिन्दू धर्म का प्रभाव भी आत्मसात हो गया.

वियतनाम की आधुनिक राजधानी हानोई के उत्तर में बाक निन्ह जिले में स्थित निन्ह फुक पागोडा को वियतनाम का प्रथम बुद्ध संघ तथा मन्दिर का स्थान माना जाता है. कहते हैं कि प्राचीन समय में यहाँ पर भारत से आये बहुत से बुद्ध भिक्षुक रहते थे. इस पागोडा को लुए लाउ (Luy Lâu) पागोडा के नाम से भी जाना जाता है. पहाड़ों के पास, डुओन्ग नदी के किनारे बना यह पागोडा, प्राचीन दीवारों में बन्द लुए लाउ शहर से जुड़ा है, और बहुत सुन्दर है. पागोडा के प्रँगण में 1647 ईस्वी की बाओ निह्म मीनार बनी है जिसमें पागोडा के प्रथाम बुद्ध महाध्यक्ष के अवषेश सुरक्षित रखे हैं.

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वियतनाम में कम्युनिस्ट शासन स्थापत हुआ जिसने धर्म को सार्वजनिक जीवन से निकालना चाहा और बौद्ध धार्मिक स्थान भी बन्द कर दिये, भिक्षुकों को जेल में डाला गया. 1986 के बाद धीरे धीरे शासन ने रूप बदला और धार्मिक संस्थानो को फ़िर से चलने की अनुमति मिली.

आज वियतनाम में प्राचीन बुद्ध मन्दिरों को सरकारी सहयोग मिलता है और पर्यटक उन्हें देखने जाते हैं. लेकिन बुद्ध धर्म की प्रार्थनाएँ अभी भी चीनी भाषा में हैं जिसे आम वियतनामी नहीं समझ पाते. इन प्रार्थनाओं में अमिताभ सूत्र तथा पद्म सूत्र सबसे अधिक प्रचलित हैं. इसी तरह बुद्ध मन्दिरों में प्रार्थनाओं को ध्वज पर लिखवा कर घर में रखने का प्रचलन है, पर यह प्रार्थनाएँ भी चीनी भाषा में ही लिखी जाती हैं.

बुद्ध मन्दिरों में विभिन्न बौद्धिसत्वों जैसे कि अमिताभ की मूर्तियाँ मिलती हैं.

साथ ही बुद्ध मन्दिरों में प्राचीन पूर्वज पूजा भी प्रचलित है जिसमें अगरबत्तियों के साथ साथ, लोग कागज़ की मानव मूर्तियों या नकली नोटों को भी जलाते हैं.

पूर्वज पूजा से ही जुड़ी है गुरु पूजा की परम्परा. हानोई में राजपरिवार के प्राचीन गुरुओं का "साहित्य मन्दिर" बना है, जहाँ विद्यार्थी इम्तहान में पास होने की प्रार्थना करने जाते हैं.

वियतनामी मन्दिरों में फोनिक्स के काल्पनिक जीव जो विभिन्न पशु पक्षियों के सम्मिश्रिण से बना है अक्सर दिखता है.

जापानी प्रभाव से विकसित हुए ज़ेन बुद्ध धर्म या थियन बुद्ध धर्म के भिक्षुक, लेखक तथा विचारक थिच नाह्ट (Thích Nhất Hạnh) अपने ध्यान योग और बुद्ध साधना की किताबों और प्रवचनों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं.

बुद्ध धर्म से जुड़ी मेरी एक वियतनाम यात्रा की कुछ तस्वीरें प्रस्तुत हैं.

(1) चीनी भाषा में लिखा प्रार्थना ध्वज

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

(2) हानोई में बना गुरु पूजा का साहित्य मन्दिर

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

(3) वियतनाम में मध्य भाग से कुछ बुद्ध मन्दिर

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

(4) मन्दिर में चढ़ाने के लिए कागज़ के मानव व पशु जलाने की रीति

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

(5) प्राचीन निन फुक पागोडा

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

Buddhism in Vietnam - S. Deepak, 2010

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14 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा प्रवीण. भारतीय संस्कृति से बहुत कुछ मिलता है, अपनापन लगना तो स्वाभाविक है :)

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    1. धन्यवाद रमाकाँत जी. पूरे एशिया में ही अपनेपन का भाव मिलता है!

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  3. Thanks, I am happy and thankful how you use opportunities that life offers in learning, connecting and appreciating as well as refining your own sensitivities, and most praise-worthy is your pleasure in sharing with all of us. Keep it up.
    Beauty of these buildings provide evidence that the tenets of Buddhism are full of optimism and and of course of compassion. That's the message I get by viewing these superb photographs. dinkar

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  4. कहते हैं कि भारत ने अपने उपनिवेश नहीं बनाए। हम दब्बू थे इसलिए लोगों ने हम पर राज किया लेकिन दीपक जी लोग यह भूल जाते हैं कि हम भारतियों ने लोगों के दिलों पर राज किया था और आत्माओं में उपनिवेश बनाए थे। कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड जैसे देशों को भाषा, समाज, संस्कृति से भारत के मनीषियों ने ही सींचा था। हम दूसरों कि तरह वहाँ से कुछ लेने नहीं बल्कि देने गए थे। आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट ने यही सिद्ध किया है। खूबसूरत चित्रों के लिए धन्यवाद।

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    1. बिल्कुल सही कहा आपने अनुपम जी, दिलों में घर बनाना, युद्ध से लोगों के देशों पर शासन करने से कहीं उत्तम है. भारतीय दर्शन और धर्मों में अब भी वही बात है जो सत्य की खोज करने वालों को लुभा लेती है, लेकिन उसमें कट्टरपंथी नहीं चलती, बल्कि कट्टरपंथियों से धर्म की सच्ची भावनाओं का विनाश होता है.

      सराहना के लिए धन्यवाद

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    2. दुनियाँ लोकतन्त्र का जन्मदाता फ्रांस को मानती है पर मेरे विचार में हिन्दू धर्म ही लोकतन्त्र का जन्मदाता है। आखिर और किस धर्म में इतनी सहजता होगी की वह एक साथ नास्तिक और आस्तिक दोनों दर्शनों को साथ लेकर चल सके। यह एक बहती नदी है जिसका स्रोत हर भारतीय के दिल में है लेकिन आज चरमपंथी विचार धाराएँ इसे एक रुके गंदे नाले में बादल देने पर तुली हैं।

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    3. आप तो मेरे दिल की बात कहदी, अनुपम जी

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  5. वासुदेव कुटुंबकम बहुत ही सुंदर और प्रसन्न करने वाला लेख लिखा है भारत चीन इलाकों में खास करके वियतनाम कंबोडिया Thailand इस में हिंदू और बौद्ध संस्कृति से मिले हुए परंपरा है यहां पर बुद्ध का ज्यादा प्रचलन है लेकिन इसमें हिंदू देवी देवताओं की तरह पूजा जाता है आपका यह लेख पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा और यह ज्ञानवर्धक था ओम नमः शिवाय

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    1. मान्यवर, आलेख को पढ़ने व सराहना के लिए धन्यवाद

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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