मंगलवार, जनवरी 01, 2013

अगर ..

कल्पना ने आँखें नीचे करके कनखियों से उसकी ओर देखा तो उसका दिल पिघल गया. कुछ दिन पहले ही मिले थे पर थोड़े दिनों में ही ऐसे घुलमिल गये थे मानो सदियों का रिश्ता हो. और आज पहली बार दोनो ने प्यार किया था. कल्पना ने ही उसे अपने घर बुलाया था कि वह घर पर अकेली थी. इतनी जल्दी शारीरिक सम्बन्ध बनाना उसे कुछ ठीक नहीं लगा था पर वह कल्पना को न नहीं कह पाया था.

वह सारी शाम इसी तरह एक दूसरे की बाँहों में गुज़ार देना चाहता था लेकिन कल्पना उठ बैठी थी, और कपड़े पहनने लगी थी.

"क्या हुआ, मेरे पास बैठो न!" उसने कहा था तो कल्पना ने नाक भौं सिकोड़ ली थी.

"अभी समय नहीं, मुझे सहेलियों के साथ फ़िल्म देखने जाना है! चलो उठ कर जल्दी से कपड़े पहन लो, नहीं तो मुझे देर हो जायेगी."

"कौन सी फ़िल्म जा रही हो? मैं भी चलूँ?"

कल्पना उसकी ओर देख कर मुस्करा दी थी, "पागलों जैसी बात न करो, तुम लड़कियों के बीच में क्या करोगे? चिन्ता न करो, मैं तुम्हें जल्दी ही टेलीफ़ोन करूँगी."

उससे रहा नहीं गया था और वह मचल उठा था, "मैं तुमसे दूर नहीं रह सकता. आज फ़िल्म का प्रोग्राम बदल दो, मेरे साथ रहो."

कल्पना हँस पड़ी थी, "तुम तो बहुत चिपकू हो यार. अब कहोगे कि मुझसे शादी करनी है. मुझे पता होता कि तुम ऐसे हो तो तुम्हारे साथ समय बरबाद न करती. अरे यार यह प्रेम शेम का नाटक न करो. मेरे दिल को तुम कुछ पसन्द आये, थोड़ी देर साथ रह कर मज़ा कर लिया, बस. शादी वादी के चक्करों में मुझे नहीं पड़ना. अभी तो बहुत दुनिया देखनी है, कुछ और मज़े करने हैं."

वह मायूस हो कर कपड़े पहनने लगा. यह उसके साथ तीसरी बार हुआ था कि किसी लड़की ने उसके शरीर का फायदा उठा कर उसे छोड़ दिया था. यही हाल रहा तो वह बिना शादी और बच्चों के ही बूढ़ा हो जायेगा.
***

"मुझे यह बच्चा नहीं चाहिये. कौन पालेगा लड़कों को? जीना हराम कर देते हैं. मुझे गर्भपात कराना है", कल्पना ने कहा.

डाक्टर उसकी बचपन की सहेली थी, बोली, "अरे यार सब लड़कियाँ इस तरह से सोचेंगी तो हमारे देश का क्या होगा? मालूम है कि हमारे देश में लड़कों की संख्या घटती जा रही है. यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब गर्भवती होने के लिए हमें विदेशों से वीर्य मँगवाना पड़ेगा."

कल्पना बोली, "देश का क्या होगा इसका मैंने ठेका नहीं लिया है जो बिना बात के मुसीबत पालूँ. बिना बात की लड़ाईयाँ करते हैं, घर में कुछ काम धाम नहीं करते, न माँ बहन की सेवा. शराब पीने में पहले नम्बर पर, काम करने में सबसे पीछे. लड़के तो मुसीबत की जड़ हैं. मैं नौकरी करती हूँ, स्वतंत्र रहती हूँ. नहीं, नहीं, मुझे इतनी मुसीबत नहीं चाहिये. मुझे तो बेटी ही चाहिये, अगर विदेश से अच्छा गोरा चिट्टा वीर्य मिलेगा तो होगी भी सुन्दर."

"लड़का हो तो गर्भपात कराना इसे भारतीय कानून में जुर्म माना जाता है, कहीं कुछ हो गया तो?" डाक्टर ने चिन्ता व्यक्त की.

"अरे नहीं यार. यहाँ कुछ भी हो, ले दे कर रफ़ा दफ़ा कर देते हैं. लिख देना का गर्भ में ही भ्रूण मर गया था इसलिए गर्भदान की सफ़ाई की गयी, बस." दोनो सहेलियाँ हँस पड़ीं.
***

कल शाम को नारी खाप पँचायत की आपत्कालीन मीटिंग बुलायी गयी. पँचायत ने सभी युवकों से अपील की है कि वे टाईट जीन्स या खुले बटन वाली तंग कमीज़े न पहनें. इस तरह के वस्त्र भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है और इनसे लड़कियाँ अपने आप पर काबू नहीं कर पाती हैं. जहाँ तक हो सके उनको शालीन तरीके से अन्दर लँगोट और ऊपर से धोती कुर्ता पहनना चाहिये. इसके अतिरिक्त युवकों को सलाह दी जाती है कि शाम को या रात को अकेले बाहर जाने में, बहुत ध्यान करें. और अगर कोई अनजानी युवती उनकी ओर मुस्कराये या उनसे बात करने की कोशिश करे, तो उन्हें उससे सावधान रहना चाहिये.

खाप पँचायत ने युवतियों से भी अपील की है कि लड़का होने पर गर्भपात न करायें. हमारी भारतीय संस्कृति ने लड़को को हमेशा से पूजनीय माना है, उन्हें देव कह कर मन्दिरों में उनकी मूर्तियाँ लगायी जाती हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि लेबोरेटरी में किराये के वीर्य से गर्भ धारण करने से और विवाह न करने से बेचारे पुरुषों के साथ बहुत नाइन्साफ़ी होती है, बेचारे अकेले रहने को मज़बूर होते हैं. अगर लड़कों के गर्भपात का यही हाल रहा तो आने वाले भविष्य में भारत में युवक नहीं बचेंगे.

खाप पँचायत ने भारत सरकार से माँग की है कि युवकों की सुरक्षा के लिए तुरन्त सख्त कानून बनाये जायें.

Satire on men in India graphic by S. Deepak, 2013

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24 टिप्‍पणियां:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

नववर्ष (2013) की मंगल कामना

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) ने कहा…

प्रभावी लेखनी,
नव वर्ष मंगलमय हो,
बधाई !!

rajiv ने कहा…

इतना साफ साफ और प्रभावशाली ढंग से लिखने के लिए बधाई...

Sunil Deepak ने कहा…

धन्यवाद चन्द्र भूषण जी, आप को भी नववर्ष की शुभकामनाएँ

Sunil Deepak ने कहा…

धन्यवाद रजनीश

Sunil Deepak ने कहा…

धन्यवाद राजीव :)

दीपक बाबा ने कहा…

आपके मर्म को समझ गए हैं. प्रभावशाली लेख के लिए साधुवाद.

Sunil Deepak ने कहा…

धन्यवाद दीपक :)

Shikha Kaushik ने कहा…

नव वर्ष मंगलमय हो,.सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

Shikha Kaushik ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Sunil Deepak ने कहा…

धन्यवाद शिखा जी :)

Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता ने कहा…

hhmmm...

Sunil Deepak ने कहा…

अगर हुम्म्म .. का अर्थ है कि सोच रही हैं तो मुझे बहुत खुशी हुई धन्यवाद शिल्पा जी

sonal ने कहा…

:-) Ameen

Sunil Deepak ने कहा…

आमीन :) धन्यवाद सोनल जी

Ramakant Singh ने कहा…

नववर्ष (2013) की मंगल कामना

Sunil Deepak ने कहा…

धन्यवाद रमाकाँत जी, आप को भी नव वर्ष की बधाई

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पता नहीं भाव कठोर होना किसी लिंग विशेष का गुण कहा जा सकता है, दोनों में ही इस तरह के तत्व विद्यमान है।

Sunil Deepak ने कहा…

प्रवीण, मेरे विचार में अगर मानव की स्वाभाविक पकृति के दृष्टिकोण से देखा जाये तो मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ. लेकिन अगर सामाजिक रूप से देखा जाये तो क्या यह सच नहीं कि हमारा समाज इस व्यंग कथा के विपरीत रूप को बढ़ावा और समर्थन देता है? इसका अर्थ यह नहीं कि सब पुरुष इस तरह के होते हैं.

abhishekshukla ने कहा…

जीवन मेँ पहली बार एसा लेख पढ़ा जिसमेँ लड़का हारा हो

Sunil Deepak ने कहा…

अभिशेख, यह लेख कम, कहानी अधिक थी, फैन्टेसी. हम सब जानते हैं कि दुनियाँ इसकी बिल्कुल उलटी है. इसमें जो बातें कल्पना, फैन्टेसी की नायिका कहती है, अक्सर वह बातें पुरुष कहते हैं. कहानी का यही अभिप्राय था कि अगर दुनिया उलटी होती तो हमें कैसा लगता?

पढ़ने के लिए और टिप्पणी के लिए धन्यवाद :)

Niraj Pal ने कहा…

अद्भुत!!! क्या खूब चित्र उकेरा है आपने इस व्यंग के माध्यम से, साधुवाद!

Sunil Deepak ने कहा…

इस सराहना के लिए धन्यवाद नीरज

Sunil Deepak ने कहा…

धन्यवाद रणधीर जी

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