बहुत हद तक यह बात सही है कि भाषा समाजिक व्यवहार की मर्यादा के दायरे में बंद होती है और अगर सामाजिक व्यवहार किसी विषय पर खुल कर बात करना या बातचीत में कई विषेश शब्दों का प्रयोग करना गलत नहीं मानता तो उस विषय पर बात करना आसान होता है.
पहली बात है किन शब्दों में यह बात करें. इतालवी भाषा में बहुत सारे वे शब्द जो हिंदी में गाली कहे जायेंगे, बातचीत में आम बोले जाते हैं, दोनो, पुरुषों और महिलाओं द्वारा. हिंदी में पुरुष ऐसे शब्द आपस में मित्रों के बीच तो बोल सकते हैं पर घर में या महिलाओं के सामने उस भाषा में बोलना अशिष्टा समझी जाती है. जनता के सामने भाषण देते समय इतालवी में भी उन शब्दों का प्रयोग करना भौँडा समझा जायेगा और आपको उनके पर्यायवाची कुछ "वैज्ञानिक" से शब्द ढ़ूँढने पड़ेंगे. यह वही बात है कि यौन विषय पर खुल कर स्पष्ट शब्दों में अपने शोध के बारे में अगर हिंदी में बात करनी पड़े तो मुझे पहले तो स्वीकृत शब्द खोजने पड़ेंगे जैसे लिंग या योनी या यौन सम्पर्क, फ़िर सामाजिक व्यवहार की सोच कर निर्धारित करना पड़ेगा कि क्या कह सकता हूँ, क्या नहीं. इतालवी भाषा में भी यही करना पड़ेगा.
दूसरी बात है कौन सी बात आप लोगों के सामने कह सकते हैं. यह सच है कि इटली में सेक्स सम्बंधी कुछ बातें परिवार में या टेलीविजन पर अन्य कई देशों के अपेक्षाकृत अधिक आसानी से कही जाती हैं. अँग्रेज़ी बोलने वाले देशों (इंग्लैंड, अमरीका, कैनेडा आदि) में मित्रों के परिवारों के अनुभव से मुझे लगता है कि वहाँ सेक्स के विषय पर बात करना कुछ कम आसान है, पर हो सकता है कि मेरा अनुभव सीमित हो. हिंदी में ऐसी बातें घर में करना तो मुझे असोचनीय सा लगता है.
बात केवल देश की नहीं, संस्कृति भी है. मेरे अनुभव में भारतीय परिवार ऐसे देशों में रह कर भी, जहाँ इन विषयों पर बात करना आम हो, अपनी भारतीय मर्यादा की सीमा को नहीं भूल पाते. यह बात उन पर लागू होती है तो भारत में पैदा और बड़े हुए हों. उनके विदेश में पले बड़े बच्चे जल्दी सीख जाते हैं कि बाहर मित्रों के साथ तो वे यह बातें कर सकते हैं, घर पर नहीं.
इन सब बातों का सोच कर, क्या यहाँ अनजान लोगों के सामने अपनी आपबीती कहना क्या अधिक आसान है ? एक तरह से हाँ, क्योंकि अपनी बात कहने के बाद आप को समाज के सामने शरमाने या छुपने की आवश्यकता नहीं पड़ती.
पर यौन सम्बंधी बातें हमारे भीतर के आत्मज्ञान और आत्मछवि का अभिन्न हिस्सा होती हैं, उन पर खुल कर लोगों के सामने बोलने के लिए हिम्मत बहुत चाहिये. शायद हिंदी में लिखने वालों को इस तरह के आत्मकथन के लिए और भी अधिक हिम्मत चाहिए, पर कई भारतीय लेखक और लेखिकाओं ने यह हिम्मत दिखाई ही है.
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आज की तस्वीरें मोजाम्बीक यात्रा से.