जैसे सुनहरे बालों नीली आँखों वाले गोरे चिट्टे जीसस की मूर्ती को देख कर कुछ अज़ीब सा लगता है वैसे ही क्रिसमस के बर्फ़ से ढके होने की बात पर भी कुछ अज़ीब सा लगता है. जेरुसल्म में जहाँ येसू पैदा हुए थे, वहाँ शायद न तो ऐसे लोग होते थे और न ही बर्फ़ गिरती थी. लेकिन अपने भगवान के रूप रंग बदलना यह केवल यूरोप में नहीं होता. अपने राम और कृष्ण भी, अब बस किताबों कविताओं में ही श्याम वर्ण के होते हैं, कैलेण्डरों मूर्तियों में तो आज कल वे भी गोरे चिट्टे ही बिकते हैं.
जेरुसल्म जो कि येसूभूमि कही जा सकती है, फ़िलिस्तीनियों से बचने का बहाना करके खुद ही ऊँची दीवार के घेरे में कैद है. इस दीवार के कैदखाने पर क्रिसमस के शाँती संदेश लगाने से क्या कैदखाने बदल जाते हैं?
जब मैं छोटा था तो मुझे याद है कि दिल्ली में कृष्णाष्टमी पर लोग घरों के सामने झाँकिया बनाते थे, जिसमें कृष्ण के जीवन के सभी प्रमुख क्षणों को दिखाया जाता था. एक तरफ़ नदी में बहता पानी और उसमें टोकरी में नन्हें कृष्ण को ले कर वासुदेव, पीछे जेल के खुले द्वार और सोते हुए प्रहरी, कहीं कृष्ण कालिया नाग के सर पर नाचते, कहीं गोपियों को बाँसुरी सुनाते.
कुछ कुछ वैसा ही होता है यहाँ क्रिसमस पर, जब बाल येसू की जन्मकथा को मूर्तियों के द्वारा दिखलाया जाता है. बहुत से लोग अपने घरों में छोटी छोटी झाँकिया बनाते हैं. शहर के क्रेंद्र में या किसी गिरजाघर में बड़ी भव्य झाँकियाँ भी बनती हैं, कभी कभी वह मशीनों से चलती भी हैं और उन्हें देखने दूर दूर से लोग आते हैं. इन झाँकियों को प्रेज़ेपे कहते हैं. इस पहली तस्वीर में आप इसी तरह की एक झाँकी को देख सकते हैं.
कभी विषेश जीवित झाँकियाँ भी बनायी जाती हैं, जिसमें लोग तैयार हो कर कथा के पात्र बन जाते हैं. दूसरी तस्वीर में एक जीवित झाँकी है.
तीसरे नम्बर एक अन्य प्रसिद्ध जीवित झाँकी है जो कि हमारे शहर बोलोनिया के पूर्व में सागर के किनारे बसे शहर में पानी में तैरती नावों पर बनायी जाती है.
इटली के नेपल्स शहर में झाँकियों में जाने माने लोग या घटनाओं की मूर्तियाँ लगाने का विषेश चलन है. अगली तस्वीर में आप नेपल्स के प्रसिद्ध मूर्तिकार मारको फैरान्यो को देख सकते हैं जो कि सुश्री दाद्दारियो की मूर्ति बना रहे हैं जिन्होंने यह बता कर कि पैसे के लिए वह प्रधानमंत्री के साथ रात बितायी थी, कुछ दिन प्रसिद्ध पायी थी.
इन मूर्तियों में टीवी तथा फ़िल्मों के प्रसिद्ध कलाकारों को भी जगह मिलती है. अगली तस्वीर में यहाँ के एक रियेल्टी शो में अपने बड़े वक्ष के लिए प्रसिद्ध पाने वाली सुश्री क्रिसतीना देल बास्सो को देख सकते हैं.
दुनिया के जाने माने राज नेताओं को भी इन झाँकियों में जगह मिलती है. अगली झाँकी में है ओबामा और उनकी पत्नी.
अगर कोई बड़ी बीमारी फ़ैले तो क्रिसमस की झाँकियों को उनकी खबर तो होनी चाहिये, शायद यही सोच कर अगली झाँकी में स्वाइन फ्लू के असर को देख सकते हैं.
इटली के प्रधानमंत्री श्री बरलुस्कोनी, अपने समाचारों की चर्चा की वजह से झाँकियों में बहुत जगह पाते हैं. अगली तस्वीर में वह उस नाबालिग युवती के साथ हैं जिनसे उनके सम्बंध बताये जाते थे. कुछ दिन पहले किसी ने उनके मुँह पर कुछ मार दिया और उनकी नाक से खून बहने लगा, तुरंत अगले ही दिन, झाँकियों की मूर्तियों की दुकानों पर उनकी बहते खून वाली मूर्ति बिकने लगी थी.
इस वर्ष माइकल जेक्सन का भी देहांत हुआ, उनके चाहने वालों के लिए इस वर्ष बाज़ार में उनकी मूर्ति भी है.
अंत में क्रिसमस की झाँकियों की दो विषेश तस्वीरें जो कि स्पेन में बनती हैं, जहाँ कातालोनिया प्रांत में इन्हे शुभ माना जाना है, कहते हैं इस तरह की मूर्तियों को अपनी झाँकी में लगाने से आने वाले वर्ष में आप को सम्पत्ति मिलती है. इनको कहते हें, "कान्येर" या "कागनेर", यानि "पाखाना करते", जिनमें बड़े प्रसिद्ध लोगों को विषेश मुद्रा में बनाया जाता है.
नये वर्ष में आप की किस्मत बढ़िया हो, सम्पत्ति मिले आदि इसके लिए यूरोप में अन्य भी कई तरह के विश्वास हैं जैसे कि स्पेन में कहते हैं कि नव वर्ष की पूर्व सध्या पर लाल वस्त्र पहनो और किशमिश के बारह दाने खाओ, फ्राँस में कहते हैं कि तेरह तरह की मिठाईयाँ खाईये, स्कोटलैंड वाले कहते हैं कि प्रेमी या प्रेयसी का ठीक रात को बारह बजे चुम्बन लीजिये और "ओल्ड लांग साइन" का लोकगीत गाईये, जर्मनी में कहा जाता है कि चम्मच में पानी और सीसे को साथ गर्म करके मिलाईये.
आप नये वर्ष में सौभाग्य के लिए किसका अनुसरण करना चाहेंगे? और अगर आप को मौका मिले कि आप झाँकी में भारत के किसी व्यक्ति की या किसी विषेश घटना की मूर्ती जोड़िये, तो आप किसकी मूर्ती जोड़ना चाहेंगे, और क्यों?
आप नये वर्ष में सौभाग्य के लिए किसका अनुसरण करना चाहेंगे? और अगर आप को मौका मिले कि आप झाँकी में भारत के किसी व्यक्ति की या किसी विषेश घटना की मूर्ती जोड़िये, तो आप किसकी मूर्ती जोड़ना चाहेंगे, और क्यों?