गुरुवार, सितंबर 22, 2005

सच्ची प्रेम कहानी

आठ-दस साल पहले, लंदन में एक सभा में हमारी प्रमुख मेहमान थीं प्रिंसेज डयाना. जब भाषण आदि चल रहे थे, उस समय वह स्टेज पर बैठी थीं और उनसे नजर हटाना आसान नहीं था. सुंदरता के साथ साथ उनके व्यक्त्तिव में जादू सा था. सभा के बाद जब उनसे थोड़ी देर मिलने का मौका मिला तो उनका जादू और चढ़ गया.

तब सोचता था कि डयाना और चार्लस् की जोड़ी राजकुमारी और मेंढ़क की जोड़ी है. तब भी चार्लस् के कमिल्ला से प्रेम सम्बंध के चर्चे होते थे और सोचता था, घोड़े को एक घोड़ी मिली है. बहुत सालों तक, डयाना के बाद चार्लस् और कमिल्ला के चक्करों का सुन कर उन पर हँसी आती थी.

पर पिछले साल जब उनकी शादी हुई तो मेरे सोचने का ढ़ंग बदल गया. मेरे इस बदलाव में, मेरे बहुत से अंग्रेज जानने वालों का हाथ है. सभी इस विवाह के खिलाफ थे. कोई कहता वह भद्दी है, कोई कहता उसके कपड़े अच्छे नहीं हैं, कोई कुछ और आलोचना करता.

इस बार लंदन गया तो दोपहर को खाना खाते समय केमिल्ला की बात निकली. दफ्तर के सभी लोगों ने, विषेशकर, औरतों ने, अभी भी केमिल्ला आलोचना बंद नहीं की थी. पर मुझे लग रहा था कि चार्लस् और केमिल्ला की तो सच्ची प्रेम कहानी है. कुछ कुछ "हम तुम" जैसी, कितनी बार मिले और बिछुड़े, अन्य लोगों से विवाह हो गये, बच्चे हो गये, पर फिर भी उनका प्रेम बना रहा. या फिर कहें शाहजहान और मुमताज महल जैसा. अगर चार्लस् जी ताजमहल बनवा सकते, तो जरुर बनवाते.

तो आज की तस्वीर है डायना से उस मुलाकात की, जिसके कुछ महीनों बाद कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गयी थीः

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