आठ-दस साल पहले, लंदन में एक सभा में हमारी प्रमुख मेहमान थीं प्रिंसेज डयाना. जब भाषण आदि चल रहे थे, उस समय वह स्टेज पर बैठी थीं और उनसे नजर हटाना आसान नहीं था. सुंदरता के साथ साथ उनके व्यक्त्तिव में जादू सा था. सभा के बाद जब उनसे थोड़ी देर मिलने का मौका मिला तो उनका जादू और चढ़ गया.
तब सोचता था कि डयाना और चार्लस् की जोड़ी राजकुमारी और मेंढ़क की जोड़ी है. तब भी चार्लस् के कमिल्ला से प्रेम सम्बंध के चर्चे होते थे और सोचता था, घोड़े को एक घोड़ी मिली है. बहुत सालों तक, डयाना के बाद चार्लस् और कमिल्ला के चक्करों का सुन कर उन पर हँसी आती थी.
पर पिछले साल जब उनकी शादी हुई तो मेरे सोचने का ढ़ंग बदल गया. मेरे इस बदलाव में, मेरे बहुत से अंग्रेज जानने वालों का हाथ है. सभी इस विवाह के खिलाफ थे. कोई कहता वह भद्दी है, कोई कहता उसके कपड़े अच्छे नहीं हैं, कोई कुछ और आलोचना करता.
इस बार लंदन गया तो दोपहर को खाना खाते समय केमिल्ला की बात निकली. दफ्तर के सभी लोगों ने, विषेशकर, औरतों ने, अभी भी केमिल्ला आलोचना बंद नहीं की थी. पर मुझे लग रहा था कि चार्लस् और केमिल्ला की तो सच्ची प्रेम कहानी है. कुछ कुछ "हम तुम" जैसी, कितनी बार मिले और बिछुड़े, अन्य लोगों से विवाह हो गये, बच्चे हो गये, पर फिर भी उनका प्रेम बना रहा. या फिर कहें शाहजहान और मुमताज महल जैसा. अगर चार्लस् जी ताजमहल बनवा सकते, तो जरुर बनवाते.
तो आज की तस्वीर है डायना से उस मुलाकात की, जिसके कुछ महीनों बाद कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गयी थीः
गुरुवार, सितंबर 22, 2005
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख
-
हिन्दू जगत के देवी देवता दुनिया की हर बात की खबर रखते हैं, दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं जो उनकी दृष्टि से छुप सके। मुझे तलाश है उस देवी या द...
-
अगर लोकगीतों की बात करें तो अक्सर लोग सोचते हैं कि हम मनोरंजन तथा संस्कृति की बात कर रहे हैं। लेकिन भारतीय समाज में लोकगीतों का ऐतिहासिक दृष...
-
अँग्रेज़ी की पत्रिका आऊटलुक में बँगलादेशी मूल की लेखिका सुश्री तस्लीमा नसरीन का नया लेख निकला है जिसमें तस्लीमा कुरान में दिये गये स्त्री के...
-
पत्नी कल कुछ दिनों के लिए बेटे के पास गई थी और मैं घर पर अकेला था, तभी इस लघु-कथा का प्लॉट दिमाग में आया। ***** सुबह नींद खुली तो बाहर अभी ...
-
सुबह साइकल पर जा रहा था. कुछ देर पहले ही बारिश रुकी थी. आसपास के पत्ते, घास सबकी धुली हुई हरयाली अधिक हरी लग रही थी. अचानक मन में गाना आया &...
-
२५ मार्च १९७५ को भी होली का दिन था। उस दिन सुबह पापा (ओमप्रकाश दीपक) को ढाका जाना था, लेकिन रात में उन्हें हार्ट अटैक हुआ था। उन दिनों वह एं...
-
ईसा से करीब आठ सौ वर्ष पहले, इटली के मध्य भाग में, रोम के उत्तर-पश्चिम में, बाहर कहीं से आ कर एक भिन्न सभ्यता के लोग वहाँ बस गये जिन्हें एत्...
-
भारत की शायद सबसे प्रसिद्ध महिला चित्रकार अमृता शेरगिल, भारत से बाहर कला विशेषज्ञों में उतनी पसिद्ध नहीं हैं, पर भारतीय कला क्षेत्र में उनका...
-
कुछ सप्ताह पहले आयी फ़िल्म "आदिपुरुष" का जन्म शायद किसी अशुभ महूर्त में हुआ था। जैसे ही उसका ट्रेलर निकला, उसके विरुद्ध हंगामे होने...
-
प्रोफेसर अलेसाँद्रा कोनसोलारो उत्तरी इटली में तोरीनो (Turin) शहर में विश्वविद्यालय स्तर पर हिन्दी की प्रोफेसर हैं. उन्होंने बात उठायी मेरे...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.