एक मीटिंग के लिए दिल्ली आया था, और उसके बाद कुछ दिन की छुट्टी ले कर रुक गया था. सभी पुराने मित्रों को टेलीफोन किया, जो करीब रहते थे उनसे मिलने भी गया. एक मित्र के यहाँ से पार्टी का न्यौता मिला. उसके विवाह की वर्षगाँठ थी. बचपन से साथ बड़े हुए थे हम, इसलिए उसे मना करने का तो सवाल ही नहीं हो सकता था.
वहाँ बहुत से अन्य जानने वालों से मिलने का मौका मिला. किसी से बात कर रहा था कि मेरा मित्र आ कर मुझे खींच कर ले गया, बोला तुझे किसी से मिलवाना है. एक युवती से मिलवाया. मैंने नमस्ते की, हालचाल पूछा, पूछा उनके पति देव कैसे हैं, कहाँ हैं, आदि सब बातें जो सभी किसी थोड़ी सी जान पहचान वाले से मिलने पर करते हैं.
रात को जब सब लोग चलने लगे तो मैंने भी मित्र से कहा कि मुझे भी चलना चाहिये.
"अरे रुक तो सही, बता क्या कहा? कैसे लगा उससे मिलना?" मित्र ने उत्सुकता से पूछा. "किससे मिलना कैसा लगा?"मैंने पूछा.
"अबे बन मत, इतनी देर तक घुल मिल कर बातें कर रहा था! क्या कहा उसको?"
तब समझ में आया कि वह उस युवती की बात कर रहा था, बोला, "तू भी यार, कम से कम किसी से मिलवाने से पहले बता तो सही कि कौन है, किससे मिलवा रहा है. बात क्या करनी थी, मैंने बस हालचाल पूछा. कौन थी वह, तेरे साले की दूसरी पत्नी?"
उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि मैं उस युवती को सचमुच नहीं पहचान पाया था. कई साल पहले जब हम दोनो विद्यार्थी थे और तब भाभी, उसकी पत्नी नहीं प्रेमिका थीं, हम लोग बहुत बार इक्टठे बाहर जाते. ऐसे साथ घूमने में मुझे भाभी की एक सखी से प्रेम हो गया. मित्र से सहायता माँगी, भाभी से कहा पर कुछ बात नहीं बनी, क्योंकि उस लड़की की शादी कहीं पक्की हो गयी थी. कुछ दिनों तक मजनूँ की तरह दुखी रहा था तब, और मित्र व भाभी ने मिल कर बहुत दिलासा दिया था. उसी लड़की से मिलवाया था मित्र ने और मैंने उसे पहचाना ही नहीं!
बाद में मैंने सोचा कि ऐसा कैसे हो गया, जिससे प्यार करता था उसी को नहीं पहचाना? दिल को समझाया कि शायद इसकी वजह थी कि वह शादीशुदा थी और इन चार या पाँच वर्षों में बदल गयी थी. या फिर अपनी शादी होने के बाद मैं पुरानी सब ऐसी बातें भूल गया था.
और शायद यह बात भी हो कि सभी "कुछ कुछ होता है" के पहले प्यार वाले नहीं होते, कुछ, मुन्ना भाई भी होते हैं जो सोचते हैं, कि एक प्यार नहीं तो दूसरा सही? पर फिर भी मन से शक नहीं जाता कि मैं असली प्रेमी नहीं और अगर मेरे जैसे मजनूँ हों दुनिया में तो शायद लोगों का इश्क से विश्वास ही मिट जाये?
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अभिषेख जी, क्मप्यूटर पर हिंदी लिखना इतना कठिन नहीं. अक्षरग्राम के सर्वज्ञ पर हिंदी में लिखने की चाह रखने वालों के लिए सभी जानकारी उपलब्ध है.
आज की तस्वीरों में संगीतकारों की युगल जोड़ियाँ:
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