शुक्रवार, अप्रैल 20, 2007

शादी हो तो ऐसी

अखबार का पन्ना पलटा तो हैरान रह गया. पूरा पन्ना अभिशेख और एश्वर्या की शादी के बारे में था, बहुत सी तस्वीरें भी थीं और संगीत से ले कर शादी का सारा प्रोग्राम भी था. यहाँ के लोगों को समझाने के लिए हिंदू विवाह की विभिन्न रीतियों को विस्तार से समझाया गया था. भारतीय मीडिया तो शादी के बारे में पागल हो ही रहा था, यहाँ वालों को क्या हो गया? इतालवी समाचार पत्रों में भारत के किसी समाचार को इतनी जगह तो बड़ी दुर्घटना या दँगों के बाद भी नहीं मिलती जितनी इस विवाह को मिली है.

भारत में पर्यटन के लिए आने वाले लोगों में बदलाव आ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार भारत में सस्ती और बढ़िया सर्जरी करवाना, या बीमारियों का इलाज करवाने आदि के लिए आने वाले "पर्यटकों" की संख्या तेजी से बढ़ रही है. भारतीय दूतावास इस बारे में पर्यटकों को सलाह दने के लिए बहुत काम कर रहे हैं, क्योंकि मलेशिया, सिँगापुर, थाईलैंड जैसे देश हमसे बाजी न मार लें उसका भी तो सोचना है. यह बात और है कि हर वर्ष विश्व में आम बीमारियों से, जिनका आसानी से इलाज हो सकता है, मरने वाले पाँच वर्ष से कम आयु के एक करोड़ बच्चों मे से करीब 25 प्रतिशत बच्चे भारत में मरते हैं, और प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सम्बंधी खर्चे के हिसाब से भारत दुनिया में कई अफ्रीकी देशों से भी निचले स्थान पर है, पर विदेशी मुद्रा और प्रगति की बात करने वालों को इन बातों में दिलचस्पी कम है.

अभिशेख और एश्वर्या की शादी के समाचार इस तरह छपेंगे तो शायद इसके बाद विदेशों से भारतीय रीति से विवाह करवाने वाले पर्यटकों की भी संख्या बढ़ेगी? पर फ़िर वह सिरफिरे विदेशी भारतीय परम्परा को न समझते हुए खुले आम चुम्मा चाटी करके भारतीय संस्कृति को भ्रष्ट करेंगे, तो उसका इलाज खोजना पड़ेगा? कुछ ही दिन पहले, यहाँ के समाचार पत्रों में शिल्पा शेटी का चुम्बन लेने वाले रिचर्ड के विरुद्ध होने वाले दँगों के बारे में भी तो समाचार था.

कुछ भी कहा जाये, मार्किटिंग वालों का कहना है कि विज्ञापन होना चाहिये, चाहे लोग अच्छा कहें यहा बुरा, बस बात होनी चाहिये. इसी से ब्राँड इँडिया मजबूत होगी.

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपको वहाँ भी शांति नहीं? हम तो हेरान हो गए है. हर जगह एक ही चर्चा. एश की शादी.

    ठीक है की भारत में बच्चे बीमारी से मर रहे है, मगर इसका अर्थ यह तो नहीं जो ईलाज उपलब्ध है उसके लिए विदेशीयों को न बुलाया जाय. यह भी कमाई का रास्ता है. नहीं तो यहाँ के डॉक्टर बाहर चले जाएंगे.

    भारत का प्रचार होना ही चाहिए.

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  2. इन बदतय वरीयताओं से टीस तो हमें भी है यहाँ देखें

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  3. शादी हो तो ऎसी.. वक्त कि बर्बादी..

    शादी भी हो जैसी.. ना हो भईया ऎसी..

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  4. भारतीय विधि से शादी करने वाले विदेशी युगल काशी में दिखने लगे हैं।
    विदेशी मुद्रा कमाने के लिए बने और पनप रहे डीलक्स अस्पताल(एक किसान प्रधान मन्त्री ने ऐसे एक अस्पताल का उद्घाटन किया था जहाँ आपात-सेवा में हेलिकॉप्टर से पहुँचने की सुविधा थी) और भारत में चिन्ताजनक शिशु-मृत्यु-दर का परस्पर एक सम्बन्ध नहीं है ?

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  5. अरे बापरे वहाँ भी महामारी फैल गई. :(

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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