शनिवार, फ़रवरी 18, 2006

लुक्का छुप्पी

पिछले महीने दिल्ली से वापस आते समय, साथ में "रंग दे बसंती" फिल्म के संगीत का कैसेट ले कर आये थे. इधर कुछ दिनों से कार में वही कैसेट चल रहा है. शुरु शुरु में तो गाने और संगीत कुछ विषेश नहीं लगे थे, पर कुछ बार सुन कर बहुत अच्छे लगने लगे हैं.

भगत सिंह, राजगुरु आदि का गीत "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजुए कातिल में है", बचपन से जाने कितनी बार सुना और गाया होगा पर उनके शब्दों के बारे में कभी गहराई से सोचा नहीं था. मालूम नहीं कि यह "रंग दे बसंती" में इस गीत को कहने की तरीके की वजह से है या फ़िर गाड़ी में अकेले बैठे, बिना किसी अन्य शोर इत्यादि के सुनने की वजह से, पर इस बार इस गीत के शब्द सुन कर रौंगटे खड़े हो गये.

पर फिल्म का सबसे अच्छा गीत मुझे लगा "लुक्का छुप्पी, बहुत हुई सामने आजा ना", शायद इस लिए कि उम्र के साथ मेरी नज़र भी धुँधली पड़ने लगी है! गीत के कुछ अंश लोरी जैसे लगते हैं और लता जी की गाई हुई लोरियों का कौन मुकाबला कर सकता है. यह सोच कर कि यह गीत पचहत्तर साल की औरत गा रही है, कुछ अजीब भी लगता है और लता जी की आवाज़ पर आश्चर्य भी होता है. शायद यह सच है कि आज लता जी की आवाज़ में महल फिल्म के "आयेगा आनेवाला" या सुजाता की "नन्ही कली सोने चली" वाली बात नहीं है, पर मेरी नज़र में, अपनी तरह से आज भी लता जी की आवाज़ अनौखी है.

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फिल्मों के गीत हमारे जीवन में कितने अधिक समा जाते हैं, क्या ऐसा केवल उत्तरी भारत में हि्दी फिल्में देखने वालो के साथ ही होता है या फ़िर दक्षिण भारत में भी ऐसा ही होता है ? कुछ भी बात हो जीवन की, चाहे खुशी हो या दुख का लम्हा, या फ़िर रोज़मर्रा का साधारण पल, हर स्थिति के लिए मन में कोई न कोई गीत आ ही जाता है. उसके लिए सोचना नहीं पड़ता.


अगर ये गाने न हों तो लगता है कि जैसे खुशी या दुख अधूरे रह गये हों.

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मंगलवार को दो सप्ताह के लिए नेपाल जाना है. हालाँकि वहाँ की स्थिति के बारे में रोज़ चिंताजनक समाचार मिलते हैं पर फ़िर भी मन में अपने बारे में या यात्रा के बारे में कोई विषेश चिंता नहीं है. वहाँ लोग हड़ताल कर रहे हैं, बंद कर रहे हैं, जेलों में जा रहे हैं और मेरे मन केवल "यह देखूँगा, वहाँ जाऊँगा, उससे मिलूँगा.." जैसी बातें आतीं हैं.


नेपाल से आते समय दिल्ली में कुछ देर रुकने का मौका मिलेगा. इस खुशी में आज की तस्वीरें दिल्ली की सड़कों की.


5 टिप्‍पणियां:

  1. भगत सिंह, राजगुरु आदि का गीत "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजुए कातिल में है", बचपन से जाने कितनी बार सुना और गाया होगा पर उनके शब्दों के बारे में कभी गहराई से सोचा नहीं था.

    मैंने ऐसा कहीं पढ़ा था कि यह गीत राम प्रसाद बिस्मिल जी ने लिखा था। वैसे यह वीर रस का गीत है, इसे एक खास तरीके से गाया जाए तो ही सुनने में बढ़िया लगता है और सही भाव सुनने वाले के हृदय में जाता है। कुछ समय पहले शहीद भगत सिंह पर दो फ़िल्में आईं थीं, अजय देवगन की "द लेजेन्ड आफ़ भगत सिंह" और बॉबी देओल की "शहीद"। यह गीत वैसे तो दोनो में ही था, परन्तु अजय देवगन की फ़िल्म में न जाने क्यों ए.आर.रहमान ने इसके सुर से साथ प्रयोग करने की सोची कि इसका सारा वीर रस निकल गया। जबकि "शहीद" में इसे बहुत सही ढंग से गाया गया था, आवाज़ में थोड़ी अकड़ के साथ, जो कि गीत के बोलों के साथ बिलकुल सही लगती थी। :) मैंने "रंग दे बसंती" में तो इसे नहीं सुना, इसलिए कह नहीं सकता कि उसमें इसे कैसे गाया गया है।

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  2. meri manpasand loriyon mein se hai "main jagoon re tu so ja", film do ankhen barah haath se. bahut hi sundar gana lagta hai mujhe, aur shayad yeh mera v. shantaram ka aur unki patni sandhya ka fan hone se bhi talluk rakhta hai! (sorry, my hindi typing is painfully slow, got very used to typing in roman..)

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  3. 'Nanhi kali sone chali' is sung by Geeta Dutt.What about 'dheere se aa ja ri ankhiyan main'from Albela(it has a male version also sung by C.Ramchandra) and 'Aa ja ree aa nindiya tu aa'from 'Do Beegha Zameen'?
    Has anyone heard'Dheere dheere haule se,nindiya rani bole re,tu soja,tu khoja,sapnon main....''?

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  4. उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण वाले फिल्मों के कहीं ज्यादा दीवाने होते हैं। नेता ही बन जाते हैं कलाकार अंत में वहाँ। और फिल्मों के पोस्टर इतने बड़े!
    मैं वहाँ के गाँवों में कुछ साल रहा था। बिलकुल अलग सा देश लगता है।

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  5. That song, "dheere dheere haule se, nindiyan rani bole re, tu soja, tu khoja; sapnon meh bachpan dhole re" is from an old hindi movie named Minoo in which a young girl named Minoo runs away from home and from her very mean and cruel stepmother. She takes her infant brother and a goat (for milk for her brother)and sets out. This is the song that she sings as a lullaby to her brother to put him to bed. Her mother used to sing it to her before she died. Hope that helps!

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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