हमारा घर, हमारी कार, हमारा टेलीविजन, हमारी पत्नी, हमारे बच्चे, जैसे कितनी चीज़ें होती हैं जिन्हें हम अपने जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं, कभी जीवन उनके बिना भी हो सकता है, यह सोचा नहीं जाता. "सब माया है, मोह छोड़ दो" जैसी बातें सुन कर भी मन में आता है जब तक जीवन है तब तक मोह माया भी है, जब जीवन ही नहीं रहेगा तो अपने मोह माया छूट जायेंगे. लेकिन अगर जीवन तो रहे पर उसमें से वह सब कुछ खो जाये जिसके सहारे पर हमारे जीवन की नींव टिकी थी, तो?
शरणार्थी हो जाना ऐसी ही घटना है. नाना नानी जब तक जिंदा रहे, उनके लिए पाकिस्तान में भारत विभाजन के समय छूटे घर को खोने का घाव कभी भर नहीं पाया. संयुक्त राष्ट्र संघ के शरणार्थी उच्च कमिशन (यूएनएचसीआर - UNHCR) के साथ मुझे कीनिया, युगाँडा, नेपाल आदि देशों में शरणार्थी केम्प देखने का मौका मिला था. एक बार कश्मीर से आये शरणार्थियों से भी मिला था. जब तक टेलीविजन में दूर से देखो तो लगता है कि फ़िल्म देखी हो, वह सचमुच के लोग नहीं हों, पर करीब से देखने पर यह नहीं सोच सकते. हमारे जैसे ही लोग हैं जो सब कुछ खो चुके हैं, अगर उनके साथ हुआ है तो कल अपने साथ भी हो सकता है. भूचाल, बाढ़, युद्ध, कोई भी बहाना चाहिए नियती को, सब कुछ छीनने के लिए!
पिछले माह यूएनएचसीआर ने हँगरी से आये शरणार्थियों को याद करने की पचासवीं सालगिरह मनायी. 23 अक्टूबर 1956 को बुडापेस्ट में विद्यार्थियों का आँदोलन निकला था जिसके उत्तर में, 12 दिन के बाद, 4 नवम्बर को रूसी सेना ने हँगरी पर हमला किया था. उन दिनों में करीब एक लाख अस्सी हज़ार शरणार्थी हँगरी से आस्ट्रिया में आये थे और अन्य बीस हज़ार शरणार्थी दक्षिण में युगोस्लाविया में आये थे.
आस्ट्रिया में आये शरणार्थियों में थे 19 वर्ष के अँद्रास ग्रोफ़, यानि भविष्य की इंटेल कम्पनी के मालिक, एंड्रूय ग्रोव (Andrew Grove), जो अमरीका में जा कर बसे. उनमें मेरी प्रिय लेखिका अगोता क्रिसटोफ भी थीं जो उस समय 21 वर्ष की थीं और जो स्विटज़रलैंड में जा कर बसीं. अन्य भी जाने कितने लेखक, उद्योगपति, कलाकार, संगीतकार, आम काम करने वाले कितने लोग थे जिनके नाम आज किसी को याद नहीं. उनमें से जाने कितने अपने घरों के साथ अपने भाई बहन, माता पिता को छोड़ कर आये थे, कैसे बिखर गये उनके परिवार, कितने घाव बने उनके दिल पर, जो भरे नहीं पर जिन्हें बाहर औरों को नहीं दिखा सकते थे, अपने मन में छुपा कर जीना था.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख
-
हिन्दू जगत के देवी देवता दुनिया की हर बात की खबर रखते हैं, दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं जो उनकी दृष्टि से छुप सके। मुझे तलाश है उस देवी या द...
-
अगर लोकगीतों की बात करें तो अक्सर लोग सोचते हैं कि हम मनोरंजन तथा संस्कृति की बात कर रहे हैं। लेकिन भारतीय समाज में लोकगीतों का ऐतिहासिक दृष...
-
अँग्रेज़ी की पत्रिका आऊटलुक में बँगलादेशी मूल की लेखिका सुश्री तस्लीमा नसरीन का नया लेख निकला है जिसमें तस्लीमा कुरान में दिये गये स्त्री के...
-
पिछले तीन-चार सौ वर्षों को " लिखाई की दुनिया " कहा जा सकता है, क्योंकि इस समय में मानव इतिहास में पहली बार लिखने-पढ़ने की क्षमता ...
-
पत्नी कल कुछ दिनों के लिए बेटे के पास गई थी और मैं घर पर अकेला था, तभी इस लघु-कथा का प्लॉट दिमाग में आया। ***** सुबह नींद खुली तो बाहर अभी ...
-
सुबह साइकल पर जा रहा था. कुछ देर पहले ही बारिश रुकी थी. आसपास के पत्ते, घास सबकी धुली हुई हरयाली अधिक हरी लग रही थी. अचानक मन में गाना आया &...
-
हमारे घर में एक छोटा सा बाग है, मैं उसे रुमाली बाग कहता हूँ, क्योंकि वो छोटे से रुमाल जैसा है। उसमें एक झूला है, बाहर की सड़क की ओर पीठ किये,...
-
हमारे एक पड़ोसी का परिवार बहुत अनोखा है. यह परिवार है माउरा और उसके पति अंतोनियो का. माउरा के दो बच्चे हैं, जूलिया उसके पहले पति के साथ हुई ...
-
२५ मार्च १९७५ को भी होली का दिन था। उस दिन सुबह पापा (ओमप्रकाश दीपक) को ढाका जाना था, लेकिन रात में उन्हें हार्ट अटैक हुआ था। उन दिनों वह एं...
-
प्रोफेसर अलेसाँद्रा कोनसोलारो उत्तरी इटली में तोरीनो (Turin) शहर में विश्वविद्यालय स्तर पर हिन्दी की प्रोफेसर हैं. उन्होंने बात उठायी मेरे...
एक कहावत के अनुसार पिड़ा वही समझ सकता है, जिसके स्वयं की एडीयाँ फटी हो.
जवाब देंहटाएंशर्णार्थियों का दर्द-अपने सपनो के संसार को खो देने का दर्द मात्र और मात्र वे ही समझ सकते हैं.
सुनील जी,
जवाब देंहटाएंआपका कहना बिल्कुल सही है: जब तक जीवन है तब तक माया मोह तो रहेगा ही। यह सन्त-सम्मत भी है। परमहंस रामकृष्ण को बैंगन भर्ता (या किसी अन्य खाद्य पदार्थ, ठीक से याद नहीं है) का बड़ा शौक था। जब किसी ने उनसे कहा कि आप सन्त होकर ऐसा कैसे कर सकते हैं तो उनका उत्तर था कि शरीर रखने के लिये किसी न किसी चीज़े लगाव रखना आवश्यक है। यदि किसी चीज़ से भी लगाव नहीं है तो शरीर छूट जाएगा और आप माया मोह से मुक्त हो जायेंगे।