परिवार व मित्रों को खोने की दृष्टि से देखें तो मेरा यह बीता वर्ष बहुत बुरा रहा। जितने लोग इस वर्ष खोये, उतने शायद पहले किसी एक साल में नहीं खोये थे। नीचे की तस्वीर में दो परिवार के सदस्य (मेरी साली मिरियम और मेरा मौसेरा भाई राजन) और दो मित्र (इटली में दॉन सिल्वियो और इन्दोनेशिया में डा. नूरशाँती) हैं जिन्हें हमने इस वर्ष खोया। इन खोये साथियों की आत्माओं की शाँती के लिए प्रार्थना करने के साथ मेरी यही आशा है कि नया वर्ष हम सब के लिए सकरात्मक रहे, सुख लाये।
नये वर्ष को सकरात्मक ढंग से प्रारम्भ करने के लिए मैं बीते साल के अपने मनपसंद गानों की बात करना चाहता हूँ।
मुझे वह गाने अच्छे लगते हैं जो कर्णप्रिय हों, जिनमें शोर-शराबा नहीं हो और जिनके शब्दों में कुछ गहराई हो। पिछले कई सालों से मुझे लगता था कि हिंदी में इस तरह के नये गाने बनते ही नहीं हैं। इसलिए इस वर्ष मैंने नये हिंदी गानों को ध्यान से सुना।
जब मैं बच्चा था तो मुझे अमीन सयानी का बिनाका गीत माला सुनना बहुत अच्छा लगता था जिसमें हर वर्ष-अंत के अवसर पर वह उस साल के सबसे लोकप्रिय गीत प्रस्तुत करते थे। उसी तरह से इस आलेख में इस वर्ष के मेरे सबसे मनपसंद बीस हिंदी के गाने प्रस्तुत हैं।
अगर आप को अमीन सयानी जी की आवाज़ याद है तो कल्पना कीजिये कि मेरे शब्दों को वह पढ रहे हैं। तो भाईयों और बहनों, आईये इस कार्यक्रम का प्रारम्भ करें.
20 मैं जी रहा - बीसवें नम्बर पर एक गैरफ़िल्मी गीत है जिसे गाया है शिल्पा राव तथा जाज़िम शर्मा ने, संगीतकार हैं प्रीतम और गीतकार हैं श्लोकलाल। यह गीत कर्णप्रिय तो है ही, इसके शब्द भी बहुत सुदंर हैं, जैसे कि - "मेरी खुशियों का बना तू ठिकाना, तुझी में घर मेरा, तू ही है घर मेरा"।
19 कच्चियाँ कच्चियाँ हैं निन्द्राँ तेरे बिना - उन्नीसवीं पायदान पर भी एक गैर-फ़िल्मी गीत है जिसे गाया है जुबिन नौटियाल ने, संगीत है मीत ब्रोस का और गीत को कुमार ने लिखा है। इस प्रेम गीत के शब्द देखिये, "रोज़ रात तकिये पे आँसुओं की बारिश है, धड़कने नहीं दिल में, ग़म की रिहाईश है"।
18 तुम जो मिलो - अगला गीत फ़िल्म "फ्रेड्डी" से है जिसे अभिजीत श्रीवास्तव ने गाया है, गीतकार हैं इर्शाद और संगीतकार हैं प्रीतम। इसके कुछ शब्द देखियॆ, "है यह हकीकत या ख्वाब है, यूँ लग रहा है तू पास है, आँखों को मेरी पूछो ज़रा, चेहरे की तेरी क्यों प्यास है"।
17 तुम जो गये - फ़िल्म "जुग जुग जियो" के इस गीत को दो रूपों में सुन सकते हैं, स्वाति सिन्हा की आवाज़ में और पोज़ी यानि निरंजन धर की आवाज़ में। गीतकार हैं जिन्नी दीवान और संगीत है पोज़ी का। मुझे यह गीत स्वाति सिन्हा का गाया हुआ अधिक अच्छा लगता है। इसके शब्दों में प्रेम टूटने के दर्द की कशिश है - "आँखों में बहता टूटा सा तारा, थमे न रो रो के नैना मेरे, तुम जो गये"।
16 फ़ेरो न नज़र से नज़रिया - "कला" फ़िल्म के सभी गीत १९५०-६० के दशक के गानों की याद दिलाते हैं। उनमें मेरा सबसॆ प्रिय है नयी गायिका सिरीषा भागवातुला द्वारा गाया यह गीत, जिसके संगीतकार हैं अमित त्रिवेदी और जिसे लिखा है कौसर मुनीर ने। इसके दिल छूने वाले शब्द देखियॆ, "तारों को तोरे न छेड़ूँगी अब से, बादल न तोरे उधेड़ूँगी अब से, खोलूँगी न तोरी किवड़िया, फ़ेरो न नज़र से नज़रिया"।
15 न तेरे बिन रहना जी - अल्तामश फरीदी के गाये इस गीत के गीतकार और संगीतकार हैं तनिष्क बागची और यह "एक विलेन रिटर्न्स" फ़िल्म से है। प्रेम और बिछुड़ने के डर का बहुत सुंदर वर्णन है इसके शब्दों में - "तू मेरे पास है अभी, तो लम्हें खास हैं अभी, न जाने कब हुआ यकीं, के कुछ भी तेरे बिन नहीं"।
14 पा-परा-रारम कहानी - "लाल सिंह चढ्ढा" फ़िल्म का यह गीत मुझे सुनते ही बहुत भाया। हल्के फुलके पर गहरे अर्थ वाले शब्द, सादी सी धुन, इसकी सादगी में ही इसकी सुंदरता है। अमिताभ भट्टाचार्य के गीत को संगीत दिया है प्रीतम ने और इसे गाया है "अग्नि" नाम के रॉक गुट के गायक मोहन कानन ने। हालाँकि इस फ़िल्म को भारत में सफलता नहीं मिली, लेकिन मुझे यह फ़िल्म बहुत अच्छी लगी थी।
इसके शब्दों की कविता देखिये - "बैठी फ़ूलों पे तितली के जैसी, कभी रुकने दे कभी उड़ जाने दे, ज़िन्दगी है जैसे बारिशों का पानी, आधी भर ले तू आधी बह जाने दे", इसमें यह जीवन कैसे जीना चाहिये उसका पाठ छुपा है। शब्दों की दृष्टि से मेरे विचार में यह इस वर्ष का सबसे सुंदर गीत था। अमिताभ भट्टाचार्य को इस सुंदर गीत के लिए बहुत धन्यवाद व बधाई।
13 काले नैनों का जादू - यह एक पाराम्परिक लोकगीत है जिसे मिथुन ने संगीत दिया और नीति मोहन के साथ सादाब फ़रीदी और सुदेश भौंसले ने गाया है, फ़िल्म का नाम है "शमशेरा"। मेरे विचार में अगर इस गीत को किसी ऐसी अभिनेत्री करती जिसमें देहाती धरती वाली नायिका होती तो यह फ़िल्म में अधिक खिलता। खैर, सुनने में तो यह गीत बहुत कर्णप्रिय है ही। शमशेरा फ़िल्म के सभी गीत सुंदर थे, रणबीर कपूर भी बहुत बढिया थे लेकिन फ़िल्म कुछ जमी नहीं।
12 हैलो, हैलो, हैलो - रोचक कोहली का गाया और संगीतबद्ध किया यह गीत अंग्रेज़ी और हिंदी की आजकल की छोटे शहरों की मिलीजुली भाषा बोलता है। इसे लिखा है गुरप्रीत सैनी ने और इस सम्मिश्रण के बावजूद इसके शब्दों में छोटे शहर से आने वाले नवजवानों की आकाक्षाओं का सुंदर वर्णन है।
आजकल की अधिकाँश फ़िल्मों को देख कर लगता है कि उन्हें निर्देश करने वाले, लिखने वाले और उनके अधिकतर अभिनेता सभी अंग्रेज़ी में सोचते हैं, लेकिन क्योंकि देखने वाली जनता हिंदी भाषी है, फ़िल्म बनाते हुए वह लोग उस अंग्रेज़ी विचार का हिंदी में अनुवाद कर देते हैं, लेकिन उन की सोच यूरोपीय अधिक है। जैसे इस गीत में टूटे तारे को देख कर भगवान से कुछ माँगने का विचार अंग्रेज़ी परम्परा से लिया गया है। खैर, लगता है कि यह सारी फ़िल्मी दुनिया उसी दिशा में जा रही है, उस पर रोने से कुछ नहीं होगा।
11 नाराज़गी क्या है - सोनल प्रधान के लिखे और संगीत वाला यह गैर-फ़िल्मी गीत नये गायक राज बर्मन ने गाया है। इस प्रेम गीत के शब्द देखिये - "खैरियत भी पूछते नहीं न बात करते हो, नाराज़गी क्या है, क्यों नाराज़ रहते हो"। इसी गीत को नेहा कक्ड़ ने भी गाया है लेकिन मुझे राज बर्मन वाला गाया गीत अधिक अच्छा लगा।
10 नया प्यार है नया अहसास
- फ़िल्म "मिडिल क्लास लव" के इस गीत को जुबिन नौटियाल और पलक मुच्छल ने
गाया है, गीतकार व संगीतकार हैं हिमेश रेशमैया। इसके सुंदर शब्द देखिये -
"तुमने न जाने क्या कर दिया, खामोशियों में शोर भर दिया ... पहली खुशबू,
पहला जादू, पहली याद, पहली बारिश, पहली ख्वाहिश, पहली प्यास", विश्वास नहीं
होता कि रेशमैया जैसा व्यक्ति ऐसा गीत लिख सकता है।
09 फ़िर से ज़रा, तू रूठ जा
- "अटैक" फ़िल्म के इस गीत को गाया है जुबिन नौटियाल और शाश्वत सचदेव ने,
गीतकार हैं कुमार तथा संगीतकार हैं शाश्वत सचदेव। इस गीत में विरह और
बिछुड़ने का बहुत भावभीना वर्णन है - "ऐ ज़िन्दगी, तू चुप है क्यों, मिल कर
कभी तू बोल ना"।
08 बारिश के दिन हैं - स्टेबिन बेन का गाया यह गैर-फ़िल्मी गीत बहुत कर्णप्रिय है, एक बार सुन लीजिये तो कई दिनों तक इसे ही गुनगुनाते रह जायेंगे। इसे लिखा है कुमार ने और संगीत है विवेक कर का। इसके शब्द कुछ विषेश नहीं हैं - "बादल ही बादल, और हम पागल, तेरे इंतज़ार में", लेकिन गीत की पंक्ति "इससे बुरा क्या होगा भला, बारिश के दिन हैं, हम तेरे बिन हैं" बार-बार सुनने का मन करता है।
07 धागों का बंधन - मुझे "रक्षाबंधन" फ़िल्म का यह गीत इस वर्ष का सबसे कर्णप्रिय गीत लगा, हालाँकि इसके शब्दों तुकबंदी ही थी, नवीनता नहीं थी। अरिजीत सिंह तथा श्रेया घोषाल द्वारा गाये इस गीत को लिखा था इरशाद कामिल ने और इसका संगीत दिया था हिमेश रेशमैया ने। लगातार बार-बार सुन कर इससे अभी तक मेरा मन नहीं भरा है।
06 जैसे सावन फ़िर से आते हैं - फ़िल्म "जुग जुग जीयो" का यह गीत भी बहुत कर्णप्रिय है। इसे तनिष्क बागची और जाहरा खान ने गाया है, गीतकार व संगीतकार भी तनिष्क बागची ही हैं। यानि बागची साहब बहुमुखी प्रतिभा हैं। गीत के शब्द देखिये - "कोई बाकी न हो बातें अनकही, जिसे चाहे यह दिल वह रूठे अगर, तो मनाले उसे झूठा सही, झूठा ही सही"।
05 फितूर
- पाँचवें नम्बर पर फ़िर से "शमशेरा" फ़िल्म का यह गीत है जिसे करण मल्होत्रा
ने लिखा है, संगीत मिथुन का है और गाया है अरिजीत सिंह और नीति मोहन ने। इस
गीत के बोल दिल को छू लेने वाले हैं - "तू छाँव है सो जाऊँ मैं, तू धुँध
है खो जाऊँ मैं, तेरी आवारागी बन जाऊँ मैं, तुझे दिल की जुबाँ समझाऊँ मैं"।
यह गीत बहुत कर्णप्रिय भी है, लेकिन फ़िल्म में इस तरह से दिखाया गया है कि
उसकी उन्नीसवीं शताब्दी की पृष्ठभूमि में बहुत अजीब सा लगता है।
04 केसरिया - "ब्रह्मास्त्र" फ़िल्म का यह गीत अरिजीत सिंह ने गाया है और बहुत लोकप्रिय हुआ है। इसके गीतकार हैं अमिताभ भट्टाचार्य और संगीत है प्रीतम का। इस गीत को अनेकों बार सुन कर भी यह नया लगता रहता है।
कहने को यह फ़िल्म शिव, पार्वति और पौराणिक कथाओं से जुड़ी थी लेकिन मुझे लगा कि इसकी सोच अंग्रेज़ी में थी, उस पर केवल कलई भारतीय थी लेकिन बनाने वालों में पौराणिक कथाओं की समझ नहीं थी। उनकी सोच डिस्ने की मार्वल वाले सुपरहीरो वाली थी, केवल सोच कॆ प्रेरणा सोत्र भारत के देवी देवता थे। इस वजह से मुझे लगा कि इसकी पटकथा लिखने वालों ने सुपरहीरो की भारतीय सोच निर्माण करने का मौका खो दिया।
कुछ लोगों ने इस गीत में अंग्रेज़ी शब्द जैसे कि "लव स्टोरी" पर एतराज किया था, जबकि मुझे लगा कि गीत के शब्द आजकल के शहरी वातावरण को सही दर्शाते थे।
03 दिल बहल जाये - अभिषेख नेलवाल दवारा गाया और सगीतबद्ध किया यह गीत फ़िल्म "मुखबिर" से है और यह मुझे बहुत अच्छा लगा। नेलवाल साहब की आवाज़ बहुत सुंदर है। इसे लिखा वैभव मोदी ने है। इसका नारी वर्ज़न भी है जिसे रोन्किनी गुप्ता ने गाया है, वह भी बहुत सुंदर गाया है लेकिन मुझे नेलवाल का गाया बेहतर लगा। यह गाना सुन कर कुछ-कुछ "बर्फी" फ़िल्म से "फ़िर ले आया दिल" याद आ जाता है। गीत के शब्द भी बहुत सुंदर हैं - "क्या पता फ़िर से यह सम्भल जाये, तेरे आने से दिल बहल जाये, सर्द आँखों से बुझ गयी थी कभी, कुछ ऐसा कर यह शमा जल जाये"।
02 ज़िन्द मेरिये - "जर्सी" फ़िल्म का यह गीत जावेद अली द्वारा गाया गया है। मैंने यह गीत पहली बार इस साल के प्रारम्भ में सुना और तबसे लगातार सुनता रहा हूँ, अभी तक थका नहीं। इसे लिखा है शैली ने और संगीत है सचेत-परम्परा का। "जर्सी" फ़िल्म के सभी गीत मुझे बहुत अच्छे लगे, लेकिन इस गाने के शब्दों में कुछ ऐसा है कि जो हर बार नया लगता है - "ज़िन्द मेरिये बार-बार खिलदा है ख्वाब एक इसनू मनावाँ, यह जो ख़ला है, ज़िद्द दी खिचदी, राह मैं इसनू दिखावाँ"। उस पर से इसकी धुन दिल को छू लेने वाली है। इस गीत को जितना सुनूँ मुझे उतना अच्छा लगता है।
01 सहर - "ऒम" फ़िल्म का यह गीत अरिजीत सिंह ने बहुत धीमे सुर में गाया है। एक-दो बार सुनें तो शायद वि़षेश न लगे, लेकिन इसका जादू धीरे-धीरे चढ़ता है। इसके बोल तूराज़ के हैं और संगीत आर्को का है। आर्को यानि प्रावो मुखर्जी स्वयं को लोक-कलाकार कहते हैं, इस सुंदर गीत के लिए उन्हें धन्यवाद व बधाई।
इस गाने में अरिजीत की आवाज़ रेशम जैसी है। और शब्द देखिये - "इस पल में ही ज़िन्दगी है, अब मुक्कमल हुआ सफर, दूर तक निगाहों को कुछ भी आता नहीं नज़र। रहें न रहें मेरी आँखें, ख्वाब तेरे रहेंगे मगर, ऊँचा रहेगा हमेशा फ़क्र में यह तेरा सर, और यही तो है मेरी सहर"। इस साल मैंने इस गीत को लूप पर बार-बार सुना है और गये वर्ष का यह मेरा सबसे प्रिय गीत रहा।
अंत में
वर्ष के कौन से गीत सबसे सुंदर हैं, इस बर बहुत बहस हो सकती है, क्योंकि यह सूची मेरी पसंद बताती है, आप की पसंद इससे बहुत भिन्न हो सकती है। खुद मेरे लिए भी एक से पाँच नम्बर वाले गाने छोड़ दें, तो बहुत से गानों में ऊपर-नीचे हो सकता है। जैसे कि मैंने इस सूची में रिमिक्स हुए गानों को नहीं चुना जबकि ऐसे कुछ गाने भी अच्छे आये (जैसे कि "मिस्टर मम्मी" फ़िल्म से अरमान कोहली और शिल्पा राव द्वारा गाया "चुपके चुपके")।
खैर, अगर आप को लगे कि आप के किसी बहुत मन पसंद गाने को इस सूची में न ले कर मैंने ज़ुल्म किया है तो नीचे टिप्पणी में बताईयेगा।
अंत में आप सबको नये वर्ष २०२३ की शुभकामनाएँ।
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