सुपुत्र जी क्मप्यूटर के सामने चिंतित बैठे थे, बोले, "पापा, इसकी हार्ड डिस्क तो गयी."
कितने काम, ईमैल के पते, पासवर्ड ... सब कुछ एक पल में ही गये. पिछली बार जब ऐसा हुआ था तो सोचा था, आगे से ऐसी नादानी नहीं करेंगे. सभी महत्वपूर्ण फाइलें दोनो क्मप्यूटरों में रखेंगे ताकि ... पर कुछ दिन, महीने बाद इस सब के बारे में भूल गया था. अब पछताये क्या होत जब क्मप्यूटर के उड़ गयो दिमाग ?
तो मन को शाँत करने के लिये आज की कविता के लिये बच्चन जी की "मधुशाला" की कुछ पंक्तियाँ, यानी की बड़ी बीमारी को इलाज़ भी बड़ा ही चाहियेः
उतर नशा जब इसका जाता,
आती है संध्या बाला,
बड़ी पुरानी, बड़ी नशीली
नित्य ढ़ला जाती हाला॥
जीवन के संताप, शोक सब
इसको पी कर मिट जाते॥
सुरा सुप्त होते मद लोभी,
जाग्रत रहती मधुशाला.
और आज की तस्वीर है लंदन के रीजैंट स्टीर्ट पर एक पुराने भवन पर लगी ग्रीस की देवी अथेना की मूर्ति की.